नई दिल्ली: देशभर में वाहनों पर फास्टैग अनिवार्य कर दिया गया है, हालांकि फास्टैग को लेकर लोगों को कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। मसलन, टोल प्लाजा पर मशीन द्वारा टैग को रीड नहीं करना और फास्टैग वॉलेट में मिनिमम बैलेंस नहीं होने पर गाड़ी बाहर नहीं निकलना। एनएचएआई ने अब यात्रियों को सुविधा देते हुए फास्टैग वॉलेट में मिनिमम बैलेंस की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है। पहले कई बैंको के फास्टैग वॉलेट में कम से कम 200 रुपए रखते होते थे। 200 रुपए से कम बैलेंस होने पर अक्सर फास्टैग ब्लैकलिस्ट हो जाता था और गाड़ी बाहर नहीं निकल पाती थी।
नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने बुधवार को जानकारी दी कि अब फास्टैग वॉलेट में न्यूनतम राशि रखने की जरूरत नहीं रहेगी। एनएचएआई ने यह फैसला इलेक्ट्रॉनिक टोल प्लाजा पर बिना रुकावट के ट्रैफिक की आवाजाही के लिए लिया है। हाईवेज अथॉरिटी ने अधिकारिक बयान जारी कर कहा कि मिनिमम बैलेंस रखने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है।
इससे पहले कार/जीप/वैन के लिए फास्टैग वॉलेट में सिक्योरिटी डिपॉजिट के अलावा एक न्यूनतम राशि रखनी होती थी। न्यूनतम बैलेंस नहीं होने पर फास्टैग यूजर्स को टोल प्लाजा से गुजरने की मंजूरी नहीं दी जाती थी जबकि उनके फास्टैग अकाउंट/वॉलेट में पर्याप्त राशि होती थी। एनएचएआई के इस फैसले से लोगों को काफी सहूलियत होगी।
हाईवेज अथॉरिटी के फैसले के अनुसार, अब वाहन चालकों को फास्टैग अकाउंट या वॉलेट में पॉजिटिव राशि होने पर टोल प्लाजा से गुजरने की उसे मंजूरी मिल जाएगी। टोल प्लाजा पार करने के बाद अगर फास्टैग अकाउंट में बैलेंस निगेटिव हो जाता है तो बैंक सिक्योरिटी डिपॉजिट से उस राशि को रिकवर कर सकती है। सिक्योरिटी डिपॉजिट में जितनी राशि की कटौती की जाएगी, उसे अगले रिचार्ज के समय यूजर को फिर से भरना होगा।
देशभर में इस समय 2.54 करोड़ से अधिक फास्टैग यूजर्स हैं। इसके अलावा देश भर में जितना टोल कलेक्शन होता है, उसमें से करीब 80 फीसदी फास्टैग के जरिए होता है। हर दिन फास्टैग के जरिए टोल कलेक्शन ने 89 करोड़ रुपये का लेवल पार कर लिया है। एनएचएआई का कहना है कि 15 फरवरी से टोल प्लाजा पर सिर्फ फास्टैग के जरिए ही टोल लिया जाएगा।
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