नई दिल्ली: राफेल लड़ाकू जेट के भारत में आने के बाद रक्षा मंत्रालय का पूरा ध्यान अब सालों से अटकी स्कॉर्पीन श्रेणी की हमले वाली पनडुब्बी परियोजना पर केंद्रित है। हिंद महासागर में चीन-पाक के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारतीय नौसेना ने अपनी मारक क्षमता बढ़ाने की तैयारी तेज कर दी है। नौसेना के लिए प्रोजेक्ट 75I के तहत 6 अत्याधुनिक पनडुब्बियों के निर्माण में तेजी लाई जाएगी।
ये पनडुब्बियां स्टील्थ तकनीक से लैस होंगी
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने 20 जून 2019 को प्रोजेक्ट-75I के तहत डीजल इलेक्ट्रिक पावर द्वारा संचालित 6 पनडुब्बियों के निर्माण के लिए भारतीय रणनीतिक भागीदारों के लिए अभिव्यक्ति की रुचि दिखाई है। ये पनडुब्बियां रडार और स्टील्थ तकनीक से लैस होंगी।
परियोजना चार साल से अटकी हुई है
यह परियोजना पिछले चार वर्षों से अटकी हुई है। वार्ता पहले 2017 में शुरू हुई थी। जिसे मेक इन इंडिया श्रेणी के तहत बनाए जाने की योजना है। इन पनडुब्बियों के निर्माण के लिए विदेशी साझेदार के पास जो भी समझौता होगा, उन्हें भारतीय साझेदार के साथ मिलकर देश में बनाना होगा। इन 6 पनडुब्बियों को बनाने की परियोजना की लागत लगभग 45 हजार करोड़ है।
ये विदेशी कंपनियां कतार में हैं
जब 2017 में इस परियोजना के लिए निविदा जारी की गई, तो दुनिया की चार शीर्ष विदेशी कंपनियां सामने आईं। इनमें फ्रांस का नवान्न समूह, रूस का रोसोबोरन निर्यातक रूबिन डिजाइन ब्यूरो, जर्मनी का थिएसेनक्रुप मरीन सिस्टम और स्वीडन का साब समूह शामिल हैं। माना जा रहा है कि इनमें से किसी एक कंपनी को यह टेंडर दिया जा सकता है।
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