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नई दिल्ली: भारत विश्व के उन देशों में शुमार है, जो सर्वाधिक रफ्तार से विकास की ओर अग्रसर हैं। लेकिन किसी भी देश के विकास के लिए उसके राजमार्गों का विकसित होना आवश्यक है। कहना गलत नहीं होगा कि राजमार्गों का विकास असल मायने में मुल्क का ही विकास है। इस विषय पर न्यूज़24 ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 'भारतमाला' कॉनक्लेव (Bharatmala conclave 2022) का आयोजन किया।
बता दें कि भारतमाला भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसके जरिए सड़कों के माध्यम से पूरे भारत को जोड़े जाने का लक्ष्य तय किया गया है।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री वी के सिंह के साथ न्यूज़ 24 की तरफ से संदीप चौधरी ने खास बातचीत की। यहां पेश है इस बातचीत के खास अंश, जानिए क्या कुछ कहा केंद्रीय मंत्री वी के सिंह ने-
- हम चाहते हैं कि देश का पेट्रोल का आयात बिल कम हो, इसलिए सारा का सारा जोर हम इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की तरफ लगा रहे हैं। आज की तारीख में 40 टन का ट्रक इलेक्ट्रिक मोबिलिटी से चलने के लिए तैयार है। हमें उम्मीद है कि बहुत जल्द देश की गाड़ियां हाइड्रोजन से चलेंगी।
- एक चीज मानिए कि नितिन गडकरी किसी चीज को बोलते हैं तो वो भविष्य की नहीं होती, क्योंकि वे तेजी से काम करते हैं।
- यदि हाइड्रोजन सेल टेक्नोनॉजी की बात करें तो हम सिर्फ़ जापान से पीछे हैं।
- ये ज्यादा दिनों की बात नहीं है, दो साल में सूरत बदलने वाली है।
- अमृतसर से भटिंडा, भटिडा से जामनगर। ये रास्ता है। पंजाब का सामान, बंदरगाहों तक कैसे पहुंचे। ये काम हो गया है।
- दिल्ली से सीधी मुंबई पिछड़े इलाकों से निकल कर रास्ता जा रहा है।
- मुंबई से चेन्नई तक भी सीधी सड़कें बन चुकी हैं।
- भारतमाला के तहत हमारी सीमाओं की कनेक्टिविटी पर भी ध्यान दिया जा रहा है। लेकिन हम उसकी बात नहीं करते क्योंकि बातें अलग तरह से उछल जाती हैं। लेकिन हम बॉर्डर कनेक्टिविटी और अपने पड़ोस (पूर्व) में हम दूसरे देशों के साथ किस तरह से कनेक्टिविटी बढ़ा सकें, इस पर जोर है।
- आने वाले दिनों में आप मानसरोवर जाएंगे तो आपको पैदल नहीं जाना पड़ेगा। हमारी निपूलेक तक सड़क बन रही है। आप वहां तक गाड़ी से जा पाएंगे।
- स्टेट हाईवे को बनाते समय वही सावधानियां अपनानी हैं, जो राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के समय अपनाई जाती हैं।
- जहां तक कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी का सवाल है, इस पर लगातार मेहनत चल रही है कि कम मेहनत और लागत में कैसे बढ़िया सड़क बनाई जाए।
- अगर हम स्टेबिलिटी देखना चाहें तो फ्लेक्सिबिलिटी वाली सड़क ज्यादा जरूरी, सीमेंट बेस वाली सड़क उतनी व्यवहारिक नहीं।
- हमारी तरफ से राष्ट्रीय राजमार्गों की मरम्मत के लिए प्रणाली बनाई गई है कि इजाजत के लिए काम ना रोका जाए, ताकि छोटा खड्डा, बड़ा खड्डा ना बन पाए।
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- हर साल भारत में एक से डेढ़ लाख लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें अधिकतर युवा होते हैं, इससे बचने के लिए हम अलग-अलग तरह से जागरुकता फैला रहे हैं। साथ ही रोड इंजीनियिरिंग पर भी बड़े स्तर पर काम कर रहे हैं। इसके लिए देश की कई स्वयंसेवी संस्थाएं भी हमारे साथ जुड़ी हैं। लेकिन जब तक ड्राइवर ठीक नहीं होगा, इन दुर्घटनाओं से नहीं बचा जा सकता है।
- एक्सप्रेस वे से शहर में एंट्री लेते समय रफ्तार का ध्यान रखने की ज़रूरत है।
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