के जे श्रीवत्सन, जयपुर: महिला आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष पिछले दो दिन से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात करना चाह रही हैं, इसके लेकर बाकायदा उन्होंने लिखित में मिलने का वक्त भी मांग है लेकिन उन्हें मिलने का समय ही नहीं दिया जा रहा। ऐसे में आयोग की अध्यक्ष ने नाराजगी भरे शब्दों में कह दिया है कि अगले 24 घंटे में यदि उन्हें मुलाकात का वक्त नहीं दिया जाता, तो वे वापस दिल्ली लौट जाएंगी। आखिर किस वजह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से राष्ट्रीय महिला आयोग मिलना चाहता है और क्यों उन्हें वक्त नहीं दिया जा रहा है, आइए जानते हैं
महिला आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष रेखा शर्मा पर देशभर में महिलाओं की सुरक्षा और उन पर होने वाले अत्याचारों की रोकथाम के लिए काम करने की बड़ी जिम्मेदारी है। जब राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों की शिकायत उन्हें मिली तो वे उसकी पड़ताल करने जयपुर पहुंच गईं।
जयपुर पहुंचने के साथ ही पहले दिन सूबे के डीजीपी और उसके बाद मुख्य सचिव से मुलाकात कर पूरी स्थिति पर बात की और जब उन्हें पता चला कि राजस्थान में महिलाओं की बात सुनने के लिए महिला आयोग की अध्यक्ष और सदस्यों का पद पिछले करीब 3 सालों से रिक्त है, तो उन्होंने मुख्यमंत्री से इसे लेकर मिलने की कोशिश शुरू कर दी।
बाकायदा सीएमओ में मुलाकात का वक्त मांगते हुए सूचना भेज दी है, लेकिन पिछले 48 घंटे से उन्हें अब तक जब इजाजत नहीं मिली तो आखिरकार सब्र भी अब जवाब देने लगा है।
रेखा शर्मा का कहना है कि मैंने मुख्यमंत्री से मिलने का वक्त मांगा है। मैं अभी इंतजार कर रही हूं कि कब मुझे बुलाया जाएगा, मैं यहां कल शाम तक रहूंगी। बाकायदा मैंने 2-3 बार राज्य महिला आयोग के गठन और मिलने का वक्त मांगते हुए उन्हें पत्र भी लिख दिया है, लेकिन अभी कोई जवाब ही नहीं मिला।
यदि सरकार महिलाओं की सुरक्षा के प्रति गंभीर है तो इन पौने तीन सालों में राज्य महिला आयोग का अब तक गठन क्यों नहीं किया गया। मैं ये नहीं कहती हूं कि आयोग के गठन से कोई बड़ा जादू हो जाएगा लेकिन महिलाओं को एक जगह मिलेगी, जहां वे खुलकर बिना डरे अपनी शिकायत दर्ज करवा सकें और हमें बार- बार यहां आना ना पड़े।
वैसे अपनी दो दिनों की जांच के बाद उन्होंने राजस्थान में बढ़ते महिला अपराधों की संख्या पर भी गहरी चिंता जताई। हालांकि बड़े स्तर पर कार्रवाई होने पर तो थोड़ी संतुष्टि जताई, लेकिन निचले स्तर के कार्यशैली को लेकर जबरदस्त नाराज भी लगीं।
उन्होंने कहा, पुलिस ने महिला सुरक्षा को लेकर जो प्रजेंटेशन दिया था, वह काफी अच्छा था लेकिन कहना और बात होती है और जमीनी हकीकत पर उसे उतारना अलग बात है। मैं ये नहीं कह रही हूं कि पुलिस काम नहीं करती है, अपनी ड्यूटी नहीं निभा रही है लेकिन जो एफआईआर दर्ज हो रही है, उन पर क्या काम हो रहा है?
वीओ 3: उधर राजस्थान में महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार को हर जगह मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने वाली बीजेपी राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम से मिलने पहुंच गई और शिकायतों का एक बार फिर से अम्बार लगा दिया, लेकिन जब उन्हें पता चला की खुद आयोग की अध्यक्षा को मुख्यमंत्री गहलोत मिलने तक का वक़्त नहीं दे रहे तो उन्होंने की एक बार फिर से सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा दिए।
राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया का कहना है कि हमें महिला आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बताया कि वे हमारी शिकायतों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात करेंगी और राजस्थान में पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाएंगी, लेकिन उन्हें अब तक मिलने का वक्त ही नहीं दिया गया है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। मुख्यमंत्री को मिलने का उन्हें वक्त देकर आयोग की बात और सुझावों को सुनना चाहिए ताकि बहन बेटियों को न्याय मिले।
जाहिर है कि कुछ महीने पहले भी राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम राजस्थान आई थी और महिला सुरक्षा को लेकर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर काफी गंभीर आरोप लगाए थे। सरकार की ओर से भी सफाई आई थी कि चूंकि राजस्थान में सभी एफआईआर दर्ज हो रही हैं और महिलाओं पर होने वाले अत्याचार की शिकायत एसपी स्तर पर सुलझाई जा रही है, ऐसे में जहां विपक्ष अब तक केवल महिला अत्याचारों के बढ़ते मामलों को लेकर ही सवाल खड़ा कर रहा था वहीं अब आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष तक को मिलने का वक्त नहीं दिए जाने को भी वह उछालने की तैयारी में हैं।
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