नई दिल्ली: लखनऊ और आगरा में मुस्लिम महिलाओं ने करवाचौथ का व्रत रखा। हालांकि अब इसका विरोध होना शुरू हो गया है। इस्लामिक मदरसे, देवबंद के मौलवियों ने इस साल लखनऊ और आगरा में करवा चौथ का व्रत रखने वाली और हिंदू रीति-रिवाज का पालन करने वाली मुस्लिम महिलाओं का जोरदार विरोध किया है।
मौलवियों ने मुस्लिम महिलाओं के इस कदम को गैर इस्लामिक बताया है। पहली बार करवा चौथ मनाने वाली मुस्लिम महिला आयशा अहमद का कहना है कि हम सभी त्योहारों को सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक के रूप में मनाना चाहते हैं। हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं था जिससे इस्लाम का अनादर हो।
देवबंद के मौलवी मुफ्ती असद कासमी का कहना है, करवा चौथ इस्लाम में नहीं है। जो लोग इसे अपना रहे हैं, उनका इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है। इस्लाम में रोजा करने का प्रावधान है। फिर भी कोई करवा चौथ का पालन करता है, तो यह उसकी पसंद है। इस्लाम किसी को मजबूर नहीं करता।
इस्लामी अध्ययन के एक अन्य विद्वान और जमीयत दावत उल मुस्लीमीन के संरक्षक मौलाना कारी इशाक गोरा का कहना है कि प्रत्येक धर्म के अपने नियम और कानून हैं। इस्लाम में करवा चौथ कहीं नहीं है।
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