नई दिल्ली: मुंबई के ऑटो चालक देशराज ने अपनी पोती की शिक्षा के लिए अपने घर को बेच दिया था, जिसके बाद मीडिया में यह खबर आने के बाद लोगों की पहल के माध्यम से उसको देने के लिए 24 लाख रुपये जुटाए गए।
सोशल मीडिया 'ह्यूमन्स ऑफ़ बॉम्बे' द्वारा देशराज की दिल को छू लेने वाली कहानी साझा की गई, जिसके बाद यह तेजी से वायरल हो गई। इंटरव्यू में देशराज ने खुलासा किया कि उनके दोनों बेटों की मृत्यु के बाद परिवार की देखभाल करने की जिम्मेदारी उनके बूढ़े कंधों पर आ गई। उसने खुलासा किया कि मेरी पुत्रवधू और उनके चार बच्चों की ज़िम्मेदारी अब पूरी तरह से मेरे कंधों पर हैं, जो मुझे दुखी कर रही है।
देशराज ने अपने परिवार की जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए ऑटोरिक्शा को काफी देर तक चलाने का काम शुरू किया। उनकी कमाई का अधिकांश हिस्सा उनके पोते और पोतियों के लिए स्कूल की फीस का भुगतान करने में चला गया। उनकी पोती ने कक्षा 12वीं बोर्ड परीक्षा में 80 प्रतिशत प्राप्त किया।
लेकिन जब उनकी पोती ने कहा कि वह बीएड कोर्स के लिए दिल्ली जाना चाहती है, तो देशराज के पास इसका खर्च उठाने के लिए पैसे नहीं थे। इसलिए उसे पोती की शिक्षा के लिए अपना घर बेच दिया। उन्होंने कहा, "मुझे किसी भी कीमत पर उसके सपने पूरे करना था। इसलिए मैंने अपना घर बेच दिया और उसकी फीस चुका दी।"
देशराज की इस निस्वार्थ कर्म की कहानी ने हजारों दिलों को छू लिया था। जिसके बाद हर जगह से उनके लिए मदद का प्रस्ताव आने लगा। उनकी कहानी को कांग्रेस की अर्चना डालमिया ने ट्विटर पर पोस्ट करके मुंबईवासियों से ऑटो चालक की मदद करने की अपील की, जिसको मिलिंद देवड़ा ने भी रीट्वीट किया।
गुंजन रत्ती नाम के एक फ़ेसबुक यूज़र ने देशराज के लिए फंड जुटा शुरू किया, जो 20 लाख के लक्ष्य को पार कर गया। अब ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे द्वारा साझा किए गए एक अपडेट से पता चला है कि देशराज को क्राउडफंडिंग फंड से 24 लाख का चेक मिला है।
ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे ने सोमवार को एक वीडियो साझा किया, जिसमें दिखाया गया है कि देशराज को 24 लाख का चेक प्राप्त हुआ और उन्होंने अपने समर्थकों को उनके प्रति प्यार के लिए धन्यवाद दिया।
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