मुंबई: देश में कोरोना का कहर अभी भी जारी है, जिसमें करीब डेढ़ लाख लोगों की जिंदगी जा चुके है। ऐसे में मुंबई से जो खबर सामने आई है, उसने सभी को अंदर तक झकझोर कर रख दिया है। जानकारी के अनुसार, मुंबई में 900 से अधिक लोगों ने इस साल जनवरी और नवंबर के बीच आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
हालांकि मुंबई पुलिस ने जो आंकड़ा जारी किया है, उसमें बताया है कि इस साल आत्महत्या करने वालों की संख्या में 14 प्रतिशत की गिरावट आई है। आंकड़ों के अनुसार, 19-30 वर्ष की आयु के अधिकांश लोग आत्महत्या करने वालों की संख्या शामिल थे, जबकि 10 प्रतिशत लोग वरिष्ठ नागरिक थे।
आंकड़ों से पता चला कि शहर में लॉकडाउन होने पर 371 लोगों ने इस कठोर कदम को उठाया। हालांकि, इस साल कुल मौतों की संख्या 928 दर्ज की गई जोकि पिछले साल हुई 1,075 मौतों की तुलना में 14 फीसदी कम थी।
सामाजिक समर्थन का अभाव युवा को बनाता है कमजोर
डॉक्टर अविनाश डी सूसा ने कहा कि 19 से 30 साल की उम्र के युवाओं पर इस साल प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, क्योंकि वे लॉकडाउन के बीच विभिन्न शहरों में फंसे हुए थे। COVID-19 के प्रकोप के परिणामस्वरूप, कई लोग बिना नौकरी के रह गए और आर्थिक रूप से संघर्ष करते रहे। सोसा ने द टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "सामाजिक समर्थन, अकेलेपन और वित्तीय मुद्दों की कमी ने युवा वयस्कों को अधिक असुरक्षित बना दिया।"
मनोचिकित्सक और नशामुक्ति विशेषज्ञ डॉक्टर सागर मुंदादा ने कहा कि युवा अक्सर संघर्ष करते हैं, क्योंकि एक क्लिक पर उन्हें सब कुछ उपलब्ध होता है। मुंदादा ने कहा कि युवा अक्सर तत्काल संतुष्टि की कमी में संघर्ष करते हैं।
मनोचिकित्सक ने कहा कि विफल रिश्तों से लेकर माता-पिता द्वारा डांटे जाने तक युवा अक्सर निराश महसूस करते हैं और नशीले पदार्थों की ओर रुख करते हैं। मनोचिकित्सक ने कहा कि लॉकडाउन के समय में सामाजिक समर्थन ने आत्महत्याओं की संख्या में गिरावट दर्ज की।
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