इंद्रजीत सिंह, मुंबई: एमएमआरडीए ने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को सूचित किया है कि टॉप्स सिक्योरिटी को कांट्रेक्ट देने के मामले में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ था। इसके साथ ही कंपनी के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं। टॉप्स सिक्योरिटी ने कांट्रैक्ट के अनुसार MMRDA को 500 सुरक्षा गार्ड मुहैया कराने थे। उनमें से मात्र 70 फीसदी सुरक्षा गार्ड ही ड्यूटी पर आते थे।
शिकायतकर्ता रमेश अय्यर ने मुंबई आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत दर्ज कराई थी, कि मात्र 70 फीसदी गार्ड के ड्यूटी पर आने के बावजूद वेतन सभी सुरक्षा गार्डों के नाम पर लिया जा रहा था, लेकिन एमएमआरडीए ने साफ किया है कि पेमेंट देने के पहले साइट इंस्पेक्शन कराया गया था। इतना ही नहीं कम्पनियों ने पेमेंट के लिए गार्ड्स का बैंक डिटेल, ईपीएफ और ईएसआईसी जमा किया था।
जब ये टेंडर हुआ था तब कई कंपनियों ने MMRDA की इस टेंडर प्रक्रिया में भाग लिया था। जिसमें से 6 कंपनियों को मंजूरी दी गई, जिसमें टॉप्स कंपनी भी थी। टॉप्स ने निविदा प्रक्रिया के तहत ही आवश्यकतानुसार सुरक्षा गार्ड प्रदान किए और उन्हें प्रक्रिया के अनुसार ही निधि भी उपलब्ध कराया गया।
एमएमआरडीए की रिपोर्ट के बाद प्रताप सरनाईक को बड़ी राहत मिली है। प्रताप सरनाईक पर आरोप था कि उन्होंने न सिर्फ टॉप्स ग्रुप को ठेका दिलवाया बल्कि कम गार्ड लगाकर जो टॉप्स ने एमएमआरडीए से पूरा पैसा लिया।
इस मामले में शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक के घर ईडी रेड और पूछताछ कर चुकी है। हालांकि मुंबई पुलिस की ईओडब्ल्यू अभी भी इस मामले की जांच कर रही है।
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