कोच्चि। नाबालिग के मां पर यौन शोषण के लगाए आरोपों पर केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court) ने सुनवाई की। अदालत ने महिला पर लगे आरोपों को गंभीर और दुर्लभ बताया। कोर्ट ने कहा कि मामले में ममता की पवित्रता पूरी तरह तार-तार हुई है। मामले में कोर्ट ने पुलिस प्रमुख को निर्देश दिया है कि किसी महिला आईपीएस अफसर के नेतृत्व में एसआईटी बनाकर जांच की जाए। मामले में कोर्ट ने महिला को जमानत दे दी।
तिरुवनंतपुरम जिले के कडक्कावूर निवासी महिला पर उसके नाबालिग बेटे ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इस मामले में महिला को 28 दिसंबर को अरेस्ट किया गया था। दरअसल दिसंबर 2019 में नाबालिग को दुबई के शारजाह में उसके पिता के पास भेज दिया गया था। उसका पिता शारजाह में किसी अन्य महिला के साथ रह रहा था। दर्ज मामले के मुताबिक वहां जाने के बाद नाबालिग ने पिता को घटना बताई। बच्चे की काउंसलिंग सीडब्ल्यूसी अधिकारियों द्वारा करने के बाद रिपोर्ट दाखिल की गई। इसके बाद महिला के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
आरोप लगाने के लिए मजबूर तो नहीं किया गया :
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि मां 9 महीने तक बच्चे को गर्भ में पालती है। मां और बच्चे का संबंध उसके पैदा होने से पहले से ही होता है। मां के अपने बच्चे से निस्वार्थ प्रेम, लगाव और अपनेपन की तुलना दुनिया में किसी भी प्रकार के प्रेम से नहीं की जा सकती। कोर्ट ने आरोपी महिला को जमानत देते हुए कहा कि कोई भी मां अपने बच्चे के साथ ऐसा नहीं कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी ने बच्चे को अपनी मां के ऊपर इतने गंभीर आरोप लगाने के लिए मजबूर किया है तो उसके खिलाफ भी मामला दर्ज करके कार्रवाई की जाए। अगर एसआईटी को लगे तो मामले की जांच पूरी होने तक बच्चे को उसके पिता से अलग बाल कल्याण समिति के किसी गृह में रखा जा सकता है।
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