केजे श्रीवत्सन, काेटा। कोरोना के साथ ही अब राजस्थान में बर्ड फ्लू के संक्रमण का खतरा तेजी ये बढ़ने लगा है। यहां आलम यह है कि सूबे के 33 में से 7 जिलों में बर्ड फ्लू के कारण पक्षियों की मौत की खबर है। चौंकाने वाली खबर यह भी है की करीब डेढ़ साल पहले संभार झील में हजारों की संख्या में पक्षियों की मौत के बाद भी इससे निपटने के बेहतर बंदोबस्त नजर नहीं आ रहे हैं। न ही दावों के मुताबिक पक्षियों की मौत के बाद सैंपल की जांच के लिए यहां कोई लैब बन पाया है। उन्हाेंने कहा कि राजस्थान सरकार ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए कंटेनमेंट जाेन बनाकर प्रभावित इलाकों में लोगों की आवाजाही पर प्रतिबन्ध लगाया था ठीक उसी तरह की रणनीति बर्ड फ्लू संक्रमण को रोकने के लिए भी अपनाई जायेगी।
राजस्थान के पशुपालन और कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया ने भी इसे एक गंभीर संक्रमण के खतरे का संकेत तो माना है, लेकिन उनका दावा भी है कि अब तक सूबे के किसी भी जिले में मुर्गियों में इस संक्रमण के फैलने के लक्षण नहीं पाए गए हैं। जहां तक राजस्थान में पक्षियों की लगातार मौत के आंकड़े बढ़ने की बात है, सरकार का दावा है की प्रवासी पक्षियों के यहां आने के कारण ही राजस्थान में बर्ड फ्लू के संक्रमण का खतरा नजर आ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के जयपुर, पाली, कोटा बारां, झालावाड़, जोधपुर और नागौर में पक्षियों की अधिक मौत के मामले सामने आए हैं।
यहां राज्य सरकार द्वारा बनायी गयी रेस्पाॅन्स टीम सर्विलांस कर रही है। लोगों को सतर्क रहने के लिए पेम्प्लेट्स और पोस्टरों का भी वितरण किया जा रहा है। वहीं राजस्थान में सबसे ज्यादा पक्षियों की मौत का जोधपुर में जो मामला सामने आया है उसमे सेम्पल की रिपोर्ट नेगिटिव आई है। साथ ही दूसरी अच्छी खबर मुर्गीपालकों की तरफ से आई है की अब तक एक भी जगह पर मुर्गियों में इस तरह के संक्रमण के लक्षण नहीं मिले हैं। ऐसे में नियंत्रण कक्ष बनाकर स्थिति पर निगाह राखी जा रही है ताकि यह संक्रमण आगे नहीं फैले।
पक्षियों के लिए कंटेनमेंट जोन की बात :
इसके बाद दावा किया जा रहा है कि जिस तरह से राजस्थान सरकार ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने कंटेनमेंट जाेन बनाकर प्रभावित इलाकों में लोगों की आवाजाही पर प्रतिबन्ध लगाया था ठीक उसी तरह की रणनीति बर्ड फ्लू संक्रमण को रोकने के लिए भी अपनाई जायेगी। हालांकि सरकार के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि खुले आसमान में स्वछंद उड़ने-फिरने वाले परिंदों को एक जगह पर रोकने रखने के लिए उसकी यह रणनीति कितनी कारगर साबित होगी। हालांकि इसी रणनीति को जयपुर और बारां कलेक्टर ने अमल में लाना भी शुरू कर दिया है और जहां उन्हें मृत कौओं या दूसरे पक्षियों की संख्या ज्यादा मिल रही है उस इलाके में 10 जनवरी तक धारा 144 लगा दी गयी है और लोगों को उस इलाके में ही जाने से रोका जा रहा है।
केवल भाेपाल में ही लैब :
राजस्थान सरकार के सामने सबसे बड़ी मुश्किल यह भी है कि उसे मृत पक्षियों के सेम्पल को जांच के लिए भोपाल भेजने पड़ रहे है। क्योंकि देश में बर्ड फ्लू की जांच का एकमात्र लैब भोपाल में ही है। ऐसे में अब राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार काे वेटनरी आरटी-पीसीआर लैब बनाने में भी सहायता करने की मांग को लेकर पत्र लिखा है। ऐसे लैब की स्थापना में 80 लाख रुपये तक का खर्चा आएगा।
जारी किया गया अलर्ट :
फिलहाल तो फ्ल्यू के तेजी से पैर पसारने की खबरों के बीच वन विभाग ने रणथम्भौर, सरिस्का और केवलादेव सहित अन्य बाघ और पक्षी अभ्यारण्य में अलर्ट जारी कर दिया है और वन विभाग और पशुपालन विभाग के अधिकारीयों को टीम बनाकर काम करने का निर्देश जारी कर दिया गया है।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.