नई दिल्ली: बिहार चुनाव में इस बार सबसे दिलचस्प पहलू यह रहा कि छोटी पार्टियों ने जमकर आरजेडी और जेडीयू को नुकसान पहुंचाया। चिराग पासवान की एलजेपी ने जहां जेडीयू को करीब 30 सीट नहीं जीते दी तो वहीं दूसरी तरह ओवैसी की एआईएमआईएम ने आरजेडी के सारे समीकरण को बिगाड़ दिया।
एआईएमआईएम ने इस बारे मैदान में अपने 20 सीटों पर लड़ी थी और 5 पर कब्जा जमाने में कामयाब रहीं। ओवैसी का पार्टी के कारण आरजेडी का 'MY' कार्ड पूरी तरह से फेल हो गया। सीमांचल में राजद को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी, लेकिन एआईएमआईएम के प्रवेश ने सीमांचल क्षेत्र में राजद-कांग्रेस गठबंधन के लिए एक ख़राब भूमिका निभाई। एक तरह से उसने लालू के बेटे तेजस्वी यादव को सीएम की कुर्सी पर जाने से रोक दिया।
एआईएमआईएम ने पांच सीटें - अमौर (अख्तरुल ईमान), कोचाधाम (मुहम्मद इज़हार असफ़ी), जोकीहाट (शाहनवाज़ आलम), बैसी (सैयद रुकुद्दीन), और बहादुरगंज (अजहर नईम) जीती हैं। इसके अलावा, पार्टी के उम्मीदवारों ने अन्य स्थानों पर वोटों को विभाजित किया और राजद-कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए भाजपा-जदयू को फायदा पहुंचाया।
महागठबंधन को ओवैसी का डेंट
मुस्लिम बहुल इलाकों में ओवैसी ने 20 उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें उसे उन्हें 5 सीटों पर जीत मिली। लेकिन उनके उम्मीदवार उतारने का फायदा पूरी तरह से बीजेपी के पक्ष में रहा, क्योंकि जहां पर उन्होंने उम्मीदवार उतारे थे वहां पर 2015 में BJP ने 3 सीटें जीतीं थी, लेकिन इस बार 2020 में BJP ने 12 सीटें जीती हैं।
मायावती ने दिया महागठबंधन को झटका
इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में मायावती यानि BSP ने महागठबंधन को नुकसान पहुंचाया है। BSP ने इस बार 74 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जहां इसे सिर्फ अकेली चैनपुर विधानसभा पर ही जीत हासिल हुई है। इन 74 सीटों पर 60 फीसदी से ज्यादा सीटों पर NDA ने कब्जा किया है।
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