नई दिल्ली: बैटल ऑफ बंगाल से पहले ममता बनर्जी को लगातार झटके पर झटके लग रहे हैं। पहले उनके खासम-खास शुभेंदु अधिकारी ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया। टीएमसी के कई सीनियर नेता ममता बनर्जी के भतीजे और अभिषेक बनर्जी और रणनीतिकार प्रशांत किशोर से खासे नाराज हैं। ऐसे में चुनाव से पहले टीएमसी के भीतर गृहयुद्ध जैसे हालात बन गए हैं। एक ओर टीएमसी में अंदरुनी खींचतान और दूसरी ओर बीजेपी की तूफानी रणनीति ने ममता बनर्जी को बेचैन कर दिया है।
भले ही बंगाल चुनाव में अभी 4-5 महीने का समय बाकी हो, लेकिन दीदी ब्रिगेड में गृहयुद्ध छिड़ा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समझ ही नहीं पा रही हैं कि टीएमसी में मचे गृहयुद्ध को कैसे शांत करें। इस कोहराम के लिए दो बड़े चेहरों को जिम्मेदार बताया जा रहा है।
पहला चेहरा अभिषेक बनर्जी:
अभिषेक ममता बनर्जी के भतीजे है, इन्हें पार्टी में जरूरत से ज्यादा मिल रही तवज्जों से टीएमसी के कई सीनियर नेता नाराज हैं। माना जा रहा है कि शुभेंदु अधिकारी ने भी अभिषेक बनर्जी से ही नाराज होकर मंत्री पद से इस्तीफा दिया है।
दूसरा चेहरा प्रशांत किशोर:
ममता बनर्जी ने प्रशांत किशोर को जोड़ा तो है पार्टी का जनाधार बढ़ाने में मदद के लिए, लेकिन इनकी रणनीति पार्टी के सीनियर नेताओं को रास नहीं आ रही है। ममता बनर्जी की टीएमसी में गृहयुद्ध के लिए इन दोनों चेहरों को जिम्मेदार बताया जाने लगा है।
कई चुनावों में जीत के रणनीतिकार माने जाने वाले प्रशांत किशोर को ममता बनर्जी ने पिछले साल बंगाल चुनाव में टीएमसी का जनाधार बढ़ाने के लिए जोड़ा। प्रशांत किशोर की एजेंसी आई-पैक कई महीनों से टीएमसी के लिए काम कर रही है, लेकिन प्रशांत किशोर की मिल रही अहमियत टीएमसी के कई नेताओं को पसंद नहीं आ रही है।
सूत्रों के मुताबिक, प्रशांत किशोर की टीम ने सूबे के तमाम जिलों का दौरा किया, जिसके बाद उन्होंने टीएमसी संगठन में फेरबदल की सलाह दी। उनकी सलाह पर अमल करना है या नहीं करने का फैसला खुद ममता बनर्जी या पार्टी के सीनियर नेता लेते हैं।
प्रशांत किशोर की सलाह पर ममता बनर्जी ने जुलाई में पार्टी संगठन में कई बड़े फेरबदल किए। बड़े पैमाने पर राज्य समिति के साथ-साथ जिला और ब्लॉक समितियों में हुए बदलावों से पार्टी नेताओं की नाराजगी बढ़ती गई। माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर की रणनीति TMC में साफ-सुथरी छवि वाले नेताओं को आगे करने की है।
प्रशांत किशोर की रणनीति TMC नेताओं के एक धड़े को रास नहीं आ रही है, जिससे दीदी ब्रिगेड में उनके खिलाफ मोर्चा खुल गया है। हुगली जिले के तारकेश्वर में टीएमसी की रैली में श्रीरामपुर के सांसद कल्याण बैनर्जी समेत पार्टी के कई नेता मौजूद थे, लेकिन तारकेश्वर से टीएमसी विधायक राजपाल सिंह मंच से गायब थे। दरअसल, उन्हें इस रैली के बारे में बताया ही नहीं गया था। ऐसे में उन्होंने खुलकर अपनी नाराजगी का इजहार कर दिया।
टीएमसी विधायक राजपाल सिंह का आरोप है कि रैली उन्हीं के क्षेत्र में हो रही है और उन्हें मंच पर जगह देना तो दूर रैली की ख़बर तक नहीं दी गयी। ऐसे में राजपाल सिंह जैसे टीएमसी के कई नेता पार्टी की रणनीति पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
माना जा रहा है कि कभी ममता बनर्जी के करीबी रहे शुभेंदु अधिकारी की नराजगी की भी एक बड़ी वजह प्रशांत किशोर की रणनीति है। ममता के भतीजे अभिषेक के खिलाफ भी टीएमसी में मोर्चा खुला हुआ है। टीएमसी में मिल रही अभिषेक बनर्जी को जरूरत से ज्यादा तवज्जों से कई सीनियर नेता नाराज हैं, वो टीएमसी के टिकट पर दूसरी बार सांसद चुने गए हैं। अभिषेक टीएमसी सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे हैं और पार्टी में एक तरह से उनकी हैसियत नंबर दो की है।
बैटल ऑफ बंगाल में बीजेपी नेता भी अभिषेक बनर्जी के बहाने लगातार ममता बनर्जी पर निशाना साध रहे हैं। कूच बिहार से बीजेपी सांसद निशित प्रमाणिक ने अभिषेक बनर्जी पर कोयला माफियाओं से साठगांठ का आरोप जड़ दिया। बीजेपी सांसद निशित का आरोप है कि कोयला तस्करी का पैसा अभिषेक के पास जाता है और उसी पैसे से बम-बारूद और हथियार खरीदने के लिए फंडिंग होती है। हाल में अभिषेक ने प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष को लेकर एक विवादित बयान दिया।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Google News.