के जे श्रीवत्सन, जयपुर: मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव को लेकर इन दिनों सचिन पायलेट खासे परेशान हैं। दरअसल राजस्थान के उपमुख्यमंत्री पद से बर्खास्त किए जाने वाले सचिन पायलट को फिर से पार्टी के प्रति निष्ठा दिखाने के लिए कांग्रेस मध्यप्रदेश उप चुनाव में स्टार प्रचारक बनाकर भेजना चाहती है, लेकिन भले ही राहें अलग हो गयी हो लेकर खुद सचिन पायलट वहां जाकर अपने अजीज दोस्त बीजेपी के ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ बयानबाजी से बचना चाहते हैं। यही कारण है कि बार-बार सवाल पूछे जाने पर वे देश के तमाम राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए तैयार होने की बात कहते हैं लेकिन मध्यप्रदेश जाने की बात पर चुप्पी साध लेते हैं।
यूं तो सचिन पायलट को राजस्थान का बड़ा नेता माना जाता है लेकिन मध्यप्रदेश में उनके साथ हुई कथित नाइंसाफी के ये पोस्टर बताने के लिए काफी हैं कि स्टार प्रचारक बनकर यहां कांग्रेस के लिए प्रचार करने आने से पहले ही उन्हें भावनात्मक रूप से परेशान करने की किस कदर राजनीतिक तोड़ निकाली जा रही है। इसके लिए गुज्जर नेताओं को ही आगे किया गया है। सचिन पायलट खुद गुज्जर समाज से आते हैं और गुज्जर समाज के लोगों के इन पोस्टरों में सचिन पायलेट की दुखती रग को छेड़ने के लिए साफ तौर पर लिखा हुआ है कि 'धोखेबाजी और कितना करेगी कांग्रेस युवा सचिन पायलेट के साथ' क्योंकि पीसीसी अध्यक्ष बनकर दिनरात मेहनत करके राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी तो युवा सचिन पायलेट को नजरअंदाज करके अशोक गहलोत को CM बना दिया गया।
जाहिर है भले ही सचिन को मध्यप्रदेश उपचुनावों के लिए कांग्रेस का स्टार प्रचारक बनाकर भेजा जा रहा है लेकिन सचिन के समर्थक वाले कांग्रेस विरोधी इन पोस्टरों के जरिये खुद सचिन को भी संकेत देने की कोशिश की गयी है। सचिन पायलेट भी अपने समाज के लोगों की इस भावना को समझते हैं और यही कारण है कि जब भी उनसे मध्यप्रदेश चुनाव प्रचार को लेकर सवाल पूछ गया तो उन्होंने देश के चुनाव या उपचुनाव वाले सभी राज्यों का नाम तो गिनाया लेकिन मध्यप्रदेश का नाम उनकी जुबां से नहीं निकलता।
दरअसल मध्य प्रदेश के होने वाले उप चुनावों में जहां कांग्रेस ने अपने से अलग हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को घेरने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस की कोशिश ज्योतिरादित्य सिंधिया को उन्हीं के करीबी कांग्रेस नेताओं के जरिये घेरने की है। ऐसे स्टार प्रचारकों में सचिन पायलेट का नाम भी शुमार है। यानी की उपचुनाव के रण में दो खास दोस्त शायद एक दुसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप या आंख चुराते हुए शायद आपको नज़र आ जाए। सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया की दोस्ती जग जाहिर है। और सचिन पायलट जब बागी बने थे तब सिंधिया ने ही सबसे पहले उनके समर्थन में ट्वीट करके नाइंसाफी की बात कही थी।
ऐसे में कांग्रेस सचिन पायलट को चुनावी मैदान में सिंधिया के गढ़ ग्वालियर और चंबल में उतारने पर विचार कर रही है, ताकि वे इलाके के गुज्जर वोट बैंक पर सेंध लगा कर उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन के जरिये कांग्रेस की सत्ता में वापसी करवा सके। कहा जा रहा है की कांग्रेस का ज्यादा फोकस चंबल अंचल की 16 सीटें हैं, जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है। यहां सिंधिया के प्रभाव को कम करने के लिए ही कांग्रेस अब नए समीकरण के तहत सचिन पायलट को चुनाव प्रचार के लिए लाने की तैयारी कर रही है।
चूंकि सचिन पायलट कांग्रेस के स्टार प्रचारक हैं और युवाओं में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। गुज्जर वोट बैंक इस कदर उनके साथ है की राजस्थान विधानसभा चुनावों के दौरान सचिन पायलेट के चलते ही एक भी सीट पर बीजेपी का गुज्जर प्रत्याशी नहीं जीत पाया था। चूंकि इससे पहले भी मध्य प्रदेश में सचिन पायलट चुनाव प्रचार कर चुके हैं। ऐसे में लोग उन्हें वहां पहचानते भी है, लेकिन सचिन पायलट अब भी वहां जाने को लेकर मानों असमंजस्य में ही है।
जाहिर है की यदि सचिन प्रचार करेंगे तो उन्हें यह बोलना ही पड़ेगा की ज्योतिरादित्य ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा तो कमलनाथ की सरकार गिर गई और भाजपा को फिर से सत्ता संभालने का मौका मिला। ऐसे में राज्य में कई विधानसभा क्षेत्रों में गुर्जर मतदाता है और वे चुनावी नतीजों को भी प्रभावित करते है, बावजूद इसके सचिन पायलट अभी मध्य प्रदेश उपचुनाव में प्रचार को लेकर कशमकश की स्थिति में ही हैं।
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