के.जे.श्रीवत्सन, जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) में इस बार दीपावली को पटाखों की गूंज शायद सुनाई नहीं देगी। कोरोना वायरस से लंग्स खराब होने और पटाखों से इसकी संभावनाएं कई गुना बढ़ जाने की शिकायत के बाद अब राजस्थान मानवाधिकार आयोग ने सभी जिला कलेक्टर्स और पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर इसके लिए किए जाने वाले उपायों की जानकारी मांगी है। इस पत्र के जारी होने के 48 घंटे के भीतर ही धौलपुर प्रसाशन ने पटाखों की बिक्री और उसे फोड़ने पर रोक भी लगा दी है।
दरअसल, राजस्थान मानवाधिकार आयोग ने राजस्थान सरकार के साथ-साथ राज्य के सभी 33 जिला कलेक्टर्स और पुलिस अधीक्षकों को एक नोटिस जारी किया है। जिसमें दीपावली पर पटाखा चलाने से अस्थमा और कोरोना के मरीजों के सबसे ज्यादा प्रभावित होने का हवाला देते हुए इसे रोकने के उपायों पर जवाब मांगा है।
आयोग का यह नोटिस जारी होने के 2 दिन के भीतर ही धौलपुर के जिला कलेक्टर ने तो बाकायदा एक लिखित आदेश जारी कर इस दीपावली पर समूचे जिले में पटाखे की बिक्री और उसे फोड़ने पर रोक लगाने का आदेश दे दिया है। सरकार की ओर से जब आदेश जारी होने लगे तो पटाखा व्यापारियों की चिंताएं और भी बढ़ गई हैं, क्योंकि पहले ही बड़े समारोह के आयोजन आदि बंद हो चुके हैं ऊपर से शादी-ब्याह के क्रायक्रमों के आयोजन पर भी काफी बंदिशें हैं। यही नहीं दहशरा पर रावण दहन के कार्यक्रम भी शायद नहीं होंगे। ऐसे में पटाखा व्यापारियों की चिंताएं बढ़ गई हैं।
उधर डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोनाकाल में दीपावली पर पटाखे चलेंगे और अस्थमा सहित कोरोना संक्रमण के अन्य मरीजों को और भी अधिक प्रभावित करेंगे। राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी चिकित्सालय एसएमएस मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग की ओर से सरकार के पास यह सुझाव भेजा गया है।
जिस पर राज्य मानवाधिकार आयोग ने प्रसंज्ञान लेते हुवे चिकित्सकों की राय से सहमति व्यक्त की। आयोग ने मुख्यसचिव एवं राज्य के सभी जिला कलेक्टर्स एवं राज्य के सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया कि वह मानव मूल्यों की रक्षा करें। साथ ही पटाखों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण से वातावरण को प्रदूषित होने से रोकें तथा इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही करें ताकि अस्थमा, सीओपीडी इत्यादि मरीजों को किसी भी प्रकार की कोई क्षति नहीं पहुंचे एवं कोविड 19 की रोकथाम कर सकें।
बहरहाल, अभी तो केवल धौलपुर प्रसाशन ने पटाखों पर प्रतिबन्ध लगाया है जबकि अभी सरकार के साथ साथ बाकी के सभी जिला प्रशासन को 12 अक्टूबर तक जवाब देना है। देखना यही है की जिला प्रशासन के साथ-साथ सरकार इस मुद्दे पर किस तरह का रुख अख्तियार करती है और कोरोनाकाल में आम जनता इस मुद्दे पर कितनी सजगता दिखाती है।
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