प्रभाकर मिश्रा, नई दिल्ली: अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि में कानूनी जीत के बाद अब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान को लेकर कानूनी लड़ाई शुरू हो रही है। मथुरा के सिविल कोर्ट में एक याचिका दायर कर श्रीकृष्ण जन्मस्थान के आसपास की 13.37 एकड़ ज़मीन पर दावा किया गया है।
हिंदू और मुसलमानों के बीच हुआ समझौता गलत
सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन के जरिये दायर याचिका में कहा गया है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि की ज़मीन को लेकर 1968 में हिंदू और मुसलमानों के बीच हुआ समझौता गलत है। उस समझौते को रद्द कर जन्मभूमि के 13.37 एकड़ ज़मीन को हिंदुओ को लौटाया जाय।
औरंगजेब ने 1670 में मंदिर को कराया क्षतिग्रस्त
याचिका के मुताबिक, सन 1618 में ओरछा के राजा राजा वीर सिंह देव बुंदेला ने मथुरा के कटरा केशव देव में श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर मंदिर का निर्माण कराया था। मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर 1670 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान के उस मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया गया और उसे ईदगाह मस्जिद घोषित कर दिया गया।
1770 में मराठों ने मुगलों को खदेड़ा
करीब सौ साल बाद 1770 में हुए गोवर्धन युद्ध में मराठों ने मुगलों को मथुरा से खदेड़ दिया और मथुरा पर मराठों का शासन हो गया। मराठा शासन के दौरान श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर को दोबारा मंदिर का गौरव प्राप्त हुआ था। मराठा शासन के दौरान आगरा और मथुरा की जमीन नजूल घोषित हो गयी थी। नजूल की जमीन का मतलब, जिसका कोई मालिक नहीं होता है। 1803 में आगरा और मथुरा अंग्रेजों के कब्जे में आ गया। अंग्रेजों के समय भी आगरा और मथुरा नजूल ही रहा।
बनारस के राजा ने अंग्रेजों से खरीदी जमीन, बनना था मंदिर
बनारस के राजा पटनीमल ने 1815 में श्रीकृष्ण जनस्थान की 13.37 एकड़ जमीन को अंग्रेजी हुकूमत से खरीदा। राजा पटनीमल के उत्तराधिकारियों ने 1944 में मथुरा के कटरा केशव देव की उस ज़मीन को मंदिर बनाने के लिए पंडित मदन मोहन मालवीय, गोस्वामी गणेश दत्त और भीखन लालजी अत्रे को 13400 रुपये में दे दिया। पैसे का भुगतान जाने माने उद्योगपति युगल किशोर बिड़ला ने किया था।
युगल किशोर बिड़ला ने मंदिर निर्माण के लिए 1951 में एक ट्रस्ट का गठन किया गया। ट्रस्ट का नाम था श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट। ट्रस्ट का काम था उस जमीन पर मंदिर निर्माण कराना और वहां धार्मिक आयोजन का काम देखना।
1958 में किया धोखे से समझौता
याचिका में कहा गया है कि 1958 में कुछ लोगों ने उस ट्रस्ट के समानांतर एक कमिटी का गठन श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ के नाम से किया और गैरकानूनी तरीके से ट्रस्ट पर कब्जा कर लिया। इसी सेवा संघ ने मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ 1968 में समझौता करके श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन को मस्जिद के लिए दे दिया था। याचिका के मुताबिक, कटरा केशव देव की उस 13.37 एकड़ ज़मीन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट का अधिकार था। ऐसे में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के समझौता गैर-कानूनी है। इसलिए उस समझौते को रद्द कर श्रीकृष्ण जन्मस्थान की सम्पूर्ण जमीन को भगवान श्रीकृष्ण विराजमान को सौंपा जाए।
भगवान श्रीकृष्ण बने पक्षकार
अयोध्या में रामजन्मभूमि विवाद में जिस प्रकार रामलला विराजमान को पक्षकार बनाया गया था, मथुरा कृष्ण जन्मभूमि मामले में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान को पक्षकार बनाया गया है। भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के नेक्सट फ्रेंड के रूप में इलाहाबाद हाईकोर्ट की वकील रंजन अग्निहोत्री याचिका दायर की है। इसके अलावा पांच और हिंदू पक्षकारों के तरफ से याचिका दायर हुई है, जिसमें यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड, मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ को पक्षकार बनाया गया है।
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