नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका की सुनवाई शुक्रवार को छह सप्ताह के लिए टाल दी गई। लालू के वकील की ओर से सीबीआई की दलीलों पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगने के बाद झारखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह ने मामले की सुनवाई टाल दी।
सीबीआई ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि लालू प्रसाद ने अभी तक जेल की आधी सजा पूरी नहीं की है। सीबीआई ने यह भी मांग की कि लालू प्रसाद को यहां राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) से बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल में वापस भेजा जाए।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद के अधिवक्ता ने कहा कि सजा की अवधि को लेकर उन्हें अभी सर्टिफाइड कॉपी नहीं मिल पाई है। अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने सीबीआई अदालत में उसी के लिए आवेदन किया है और इसे इसके अगले 10-15 दिनों में प्राप्त होने की उम्मीद है। लालू प्रसाद के वकील ने दलील दी कि रांची कोर्ट का आदेश मिलने के बाद जवाब दाखिल किया जाएगा।
पिछली सुनवाई के दौरान, सीबीआई ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया था कि लालू प्रसाद ने अपने कारावास का आधा कार्यकाल पूरा नहीं किया है और इसलिए वह जमानत के लिए पात्र नहीं हैं।
गुरुवार को सीबीआई ने अदालत में एक पूरक शपथ पत्र भी दायर किया था, जिसमें लालू प्रसाद पर जेल मैनुअल का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। जांच एजेंसी ने दावा किया कि चूंकि लालू प्रसाद की स्वास्थ्य स्थिति अभी स्थिर है, इसलिए उन्हें वापस बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल भेज दिया जाना चाहिए।
सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाला से जुड़े दुमका कोषागार मामले में लालू प्रसाद को कुल 14 साल की कैद की सजा सुनाई थी। लालू प्रसाद 23 दिसंबर, 2017 से जेल में बंद हैं, क्योंकि उन्हें करोड़ों रुपये के चारा घोटाले में दोषी ठहराया गया है। लालू राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में भर्ती हैं।
चाईबासा ट्रेजरी और देवघर ट्रेजरी से जुड़े चारा घोटाले के दो मामलों में लालू प्रसाद को जमानत मिल गई है। वर्तमान जमानत की सुनवाई दुमका ट्रेजरी मामले से जुड़ी है।
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