नई दिल्ली: LAC पर जैसे हालात बन रहे हैं, वो सीधे-सीधे जंग की ओर इशारा कर रहे हैं। जंग होगी तो घनघोर होगी और इसका इशारा आर्मी चीफ ने भी कर दिया है। लेकिन चीन को लेकर आज बड़ी खबर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से आई है, यहां बॉर्डर से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर चीन बम बारूद लेकर खड़ा हो गया है। बड़ी संख्या में यहां चीनी फौज पहुंच रही है। लंबी लड़ाई लड़ने के लिए चीन ने यहां स्थाई बेस कैंप बना दिया है, जो अब लद्दाख से भी बड़ा खतरा बन गया है।
लद्दाख में लाख कोशिशों के बावजूद चीन की चाल कामयाब नहीं हुई, तो अब उसने उत्तराखंड में पिथौरागढ़ से लगती सीमाओं पर अपना नया मोर्चा खोल दिया है। रक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चीन ने भारतीय सीमा से महज 12 किलोमीटर दूर कुछ स्थायी सैन्य चौकियां बनाई हैं। इन चौकियों पर पिछले दो हफ्ते में चीनी सैनिकों का जमावड़ा भी बढ़ाया जा रहा है।
खबर ये भी आ रही है कि रात में चीनी सैनिकों ने पिथौरागढ़ सीमा पर मानव रहित टोही विमान भी उड़ाए। हालांकि रात के अंधेरे में ITBP की मुस्तैदी से उसके मंसूबे कामयाब नहीं हो पाए। जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक चीन सीमा के उसपार, पाला नाम के मैदान पर अपना नया मिलिट्री बैस कैंप तैयार कर रहा है। कहा जा रहा है कि पाला के नए बेस पर चीन मिलिट्री की डिप्लॉयमेंट भी बढ़ा रहा है।
पिथौरागढ़ के नए मोर्चे पर भारतीय तैयारी भी बेहद चौकस है। पिछले तीन दिनों से भारतीय वायुसेना के जेट फाइटर भी सीमा के करीब उड़ान भर रहे हैं। कल भी इस इलाके में इंडियन फाइटर जेट को उड़ान भरते देखा गया है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में मौजूद लिपुलेख वो ट्राइजंक्शन है, जहां भारत नेपाल और चीन की सीमाएं आपस में लगती हैं। करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई वाले इस ट्राइजंक्शन से 12 किलोमीटर दूर चीन का नया सैन्य अड्डा तैयार हो रहा है।
इन सबके अलावा पिथौरागढ़ में भारतीय फाइटर जेट्स आसमान में गरजने शुरू कर दिए हैं। बॉर्डर के करीब लड़ाकू विमानों की गड़गड़ाहट से भारत चीन को सख्त और साफ संदेश दे रहा है कि अगर चीन ने यहां हिमाकत की कोशिश की तो पहाड़ों पर चीनियों की समाधि तय है। बीआरओ ने हाल ही में लिपुलेख बॉर्डर तक सड़क बना दी है, लेकिन मिलम तक अभी भी रास्ता पैदल होने के साथ बेहद मुश्किल है। लिहाजा सामरिक नजरिए से अहम इस बॉर्डर पर लड़ाकू विमानों के जरिए हवाई निगरानी रखी जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक चीन ने जुलाई में ही पाला के पास करीब 1,000 सैनिक तैनात किए थे। इसके बाद एक स्थायी चौकी भी बनाई थी। रक्षा सूत्रों के मुताबिक इसके बाद अगस्त महीने के आखिर तक उसने यहां और 2 हजार सैनिकों की तैनात कर दिए। कहा जा रहा है कि चीनी छावनी में सैनिकों के लिए सारी सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं ताकि वो पूरे साल उनकी तैनाती मुमकिन हो सके।
लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल के मुकाबले, उत्तारखंड की लिपुलेख सीमा अब तक सबसे सुरक्षित सीमा मानी जाती थी, क्योंकि इसकी भौगोलिक स्थिति के चलते चीन यहां कभी घुसपैठ की हिम्मत जुटा नहीं पाया। लेकिन अब उसके नए सैन्य अड्डे से ये सीमा भी महफूज नहीं रह गई है। जिस पाला मैदान में चीन ने अपना सैन्य बेस तैयार किया है, उसपर पहले भी विवाद हो चुका है। बावजूद इसके चीन ने ये बेस तैयार किया है। यहीं नहीं इसी बेस के करीब उसने लांच पैड तैयार कर मिसाइलें भी तैनात कर दी हैं।
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