नई दिल्ली : हड्डियां गला देने वाली ठंड के बीच कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 53 दिनों से किसानों का आंदोलन जारी है। बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसान किसी कीमत पर अपनी मांगें मनवाए बिना वापस जाने के मूड में नहीं हैं। तो वहीं सरकार भी अपने रूख पर अड़ी है। किसान संगठनों और सरकार के बीच अबतक 10 दौर की बैठक हो चुकी है लेकिन अबतक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। दोनों पक्षों के बीच अब 19 जनवरी को एकबार फिर बातचीत होगी।
वहीं आंदोलन कर रहे किसानों को मनाने की कोशिशों भी जारी है। कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा है कि सरकार किसानों के साथ खुले मन से बातचीत कर रही है। साथ ही तोमर ने ये भी कहा कि सरकार किसानों के साथ कानून के क्लॉज पर बात करना चाह रही है। लेकिन, किसान टस से मस नहीं हो रहे हैं। साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा है कि किसान, सरकार को कानून रद्द करने के अलावा कोई विकल्प बताएं। किसानों की हर आपत्ति को सरकार पूरी गंभीरता के साथ सुनेगी।
कृषि मंत्री ने कहा कि 'कानून रद्द करने के अलावा कोई दूसरी मांग है तो किसान बताएं, सरकार खुले मन से चर्चा करेगी। कोई भी कानून पूरे देश के लिए बनता है। अदालत ने अभी कानून के अमल पर रोक लगा रखी है, कोई बात है तो कमेटी के सामने भी रख सकते हैं।' साथ ही उन्होंने कहा कि 'हमने किसान यूनियनों को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें हम मंडियों, व्यापारियों के पंजीकरण और अन्य के बारे में उनकी आशंकाओं को दूर करने पर सहमत हुए थे। सरकार भी पराली जलाने और बिजली से जुड़े कानूनों पर चर्चा करने के लिए सहमत हुई थी। लेकिन यूनियनें केवल कानूनों को निरस्त करना चाहती हैं।'
इन सब के बीच गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर परेड को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट तीनों कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली और दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डेरा डाले किसानों को हटाने संबंधी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई कर सकता है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने किसान और सरकार के बीच जारी गतिरोध को तोड़ने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया है। 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले को सुलझाने के लिए 4 सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। लेकिन किसानों का कहना है कि वो कमेटी के सामने हाजिर नहीं होंगे।
आपको बता दें कि कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोरोना के खतरों के बीच 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील हैं।
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