प्रभाकर मिश्रा, नई दिल्ली: 26 नवंबर से किसानों के जारी आंदोलन का आज 22वां दिन है। कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच अभी भी गतिरोध बरकरार है। वहीं इस मसले पर आज एकबार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के आंदोलन को लेकर सुनवाई हुई थी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और किसानों के बीच समझौता कराने की पहल की और कमेटी गठन की बात कही। सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने कहा कि ये राष्ट्रीय स्तर का मसला है, लिहाजा इसमें आपसी सहमति होनी जरूरी है। अदालत की ओर से दिल्ली की सीमाओं और देश के अन्य हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों की लिस्ट मांगी गई, जिससे पता चल सके कि बात किससे होनी है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में एक समिति बनाई जाएगी। किसान संगठन और सरकार आपस में तय करे कि समिति में कौन-कौन से लोग शामिल होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि सरकार और किसानों के बीच बातचीत से हल नहीं निकल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट कल समिति के गठन का आदेश दे सकता है। सरकार भी यही चाहती थी कि दोनों पक्षों के बीच एक समिति का गठन हो, लेकिन सरकार के इस प्रस्ताव को किसान संगठन पहले ही ख़ारिज कर चुके हैं।
CJI ने सरकार से पूछा कि रोड किसने बंद किया है।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा - किसानों ने
CJI - नहीं, रोड तो अपने ब्लॉक किया है।
कोर्ट ने सरकार से प्रदर्शनकारी किसान संगठनों का नाम बताने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम प्रदर्शकारी किसान संगठनों को नोटिस जारी करेंगे और कल तक जवाब मांगेंगे।
बॉर्डरों से आंदोलन खत्म करने पर थी याचिका
याचिकाकर्ता के वकील ने शाहीन बाग मामले में कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सार्वजनिक जगहों पर अनिश्चित काल तक धरना नहीं दिया जा सकता। जिसपर कोर्ट ने पूछा कि याचिकाकर्ता कौन है, क्या वह किसान है? याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि नहीं वह एक क़ानून का स्टूडेंट है।
कोर्ट ने पूछा कि शाहीन बाग प्रोटेस्ट में कितने लोग शामिल थे। किसान आंदोलन में कितने लोग शामिल हैं? कोर्ट ने कहा कि शाहीन बाग का हवाला यहां नहीं दिया जा सकता। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से यह भी कहा कि सरकार से इस मामले में जवाब मांगा जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यह ठीक है, हम देखेंगे।
हरीश साल्वे को नहीं सुनेगा सुप्रीम कोर्ट
वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे की तरफ से बार-बार रिक्वेस्ट आ रहा है कि वह इस केस में पेश होना चाहते हैं। लेकिन कोर्ट ने कहा कि इस मामले में वे वकील नहीं है, ऐसे में हम उन्हें नहीं सुनेंगे।
दूसरी याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक अन्य दूसरी याचिका पर सुनवाई की, जिसमें एक और याचिकाकर्ता ने मांग कि किसी एक उपयुक्त जगह पर प्रदर्शन की इजाज़त मिले, जहां कोविड गाइडलाइंस का पालन हो सके और बॉर्डर पर सहज आवागमन अभी संभव नहीं है।
तीसरी याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूछा आप कौन हैं।
वकील ने कहा कि मैं भी किसान हूं।
कोर्ट ने पूछा कि आपके खेत कहां है।
वकील ने बताया, तमिलनाडु में।
वकील ने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि सरकार किसानों की मांग पर विचार करे।
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के याचिकाकर्ता को फटकार लगाई की आपको इस मामले में कुछ नहीं आता है। आप तमिलनाडु के किसानों के दर्द को पंजाब और हरियाणा के किसानों का दर्द बता रहे है।
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