कुंदन सिंह, नई दिल्ली : कड़ाके की सर्दी के बीच कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 41वां दिन है। केंद्र सरकार और किसान प्रतिनिधियों के बीच अबतक आठ दौर की बैठक हो चुकी है, लेकिन इस मसले का अबतक कोई समाधान नहीं निकल सका है। सोमवार को सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की बैठक हुई लेकिन इस बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल पाया।
किसान जहां अभी भी तीनों कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं, वहीं सरकार भी कानूनों को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है। अब अगले दौर की बैठक 8 जनवरी को 2 बजे होगी।
आठवें दौर की बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि 'मुझे उम्मीद है कि हमारी अगली बैठक के दौरान हम एक सार्थक चर्चा करेंगे और हम एक निष्कर्ष पर पहुंचेंगे। साथ ही कृषि मंत्री ने कहा, हम चाहते थे कि किसान यूनियनें तीन कानूनों पर चर्चा करें। किसान यूनियन कानूनों के निरस्त की अपनी मांगों पर अड़े रहे।
उधर अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि सरकार काफी दबाव में है। हम सभी ने सरकार के सामने एकबार फिर कहा कि हमें तीनों कानूनों को निरस्त करने के अलावे कुछ भी मंजूर नहीं है और न ही हम इसके अलावे किसी अन्य मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं। जबतक कानूनों को निरस्त नहीं किया जाता हमारा विरोध जारी रहेगा।
वहीं, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, हमारी मांगों पर चर्चा हुई। तीन कानूनों और MSP को निरस्त किया जाए। जब तक कानून वापसी नहीं होगी तब तक घर वापसी नहीं होगी। उन्होंने आगे कहा कि 8 तारीख को सरकार के साथ फिर से मुलाकात होगी। तीनों कृषि क़ानूनों को वापिस लेने पर और MSP दोनों मुद्दों पर 8 तारीख को फिर से चर्चा होगी। हमने बता दिया है जब तक कानून वापस नहीं लिए जाते, तब तक हम घर वापस नहीं जाएंगे।
गौरतलब है कि कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोरोना के खतरों के बीच 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील हैं।
सरकार और किसानों के बीच अबतक आठ दौर की बातचीत हो चुके हैं लेकिन तमाम कोशिशें बेनतीजा रही है। किसान तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह हटाने की अपनी मांगों पर अड़े हैं। वहीं सरकार कानूनों को हटाने की जगह उनमें कुछ संशोधन करने के लिए तैयार नजर आ रही है। किसान संगठन कृषि कानूनों को रद करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने की मांग से नीचे आने को तैयार नहीं हैं।
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