वरुण सिन्हा, नई दिल्ली : आज साल 2020 का आखिरी दिन और कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का 36वां दिन है। सरकार और किसानों के बीच अबतक पूर्ण सहमति नहीं बन पाई है। ऐसे में कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों का नया साल धरनास्थल पर ही मनेगा। बुधवार को सरकार और किसानों के बीच छठे दौर की बातचीत हुई। इसमें किसनों की ओर से रखी गई रखी चार मांगों में से दो पर सहमति बन गई है। और अब अगली बैठक 4 जनवरी को होगी, जिसमें MSP समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी।
इन सबके बीच आंदोलन कर रहे किसानों ने तय किया है कि वो नया साल अपने घरों पर नहीं बल्कि धरनास्थल पर ही मनाएंगे। किसान नेताओं ने साफ कर दिया है कि जब तक सरकार के साथ बातचीत में पूरी स्थिति साफ नहीं होगी, तब तक आंदोलन खत्म नहीं होने वाला है। हालांकि सरकार के साथ साकारात्मक बातचीत के बाद किसानों ने आज होने वाली ट्रैक्टर रैली स्थगित कर दी है।
सिंघु बॉर्डर पर मौजूद किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी के सुखविंदर सिंह ने कहाकि सरकार को कल कानून और MSP के बारे में बात करना चाहिए था लेकिन उन्होंने बात नहीं की। 4 जनवरी को उम्मीद है, सरकार अभी मान नहीं रही कल भी वो हमें लाभ गिनवा रही थी इसलिए हम चाहते हैं कि वो जल्दी 3 कानून को रद्द करें न कि हमें समझाएं।
कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोरोना के खतरों के बीच 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील हैं।
आपको बता दें कि सरकार और किसानों के बीच अबतक हुई बातचीत और तमाम कोशिशें बेनतीजा रही है। किसान तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह हटाने की मांग पर अड़े हैं। वहीं सरकार कानूनों को हटाने की जगह उनमें संशोधन करने की बात कह रही है। किसान संगठन कृषि कानूनों को रद करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने की मांग से नीचे आने को तैयार नहीं हैं।
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