कुंदन सिंह नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 26वां दिन है। कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोरोना के खतरों के बीच बड़ी तादाद में किसान 26 नवंबर से दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। बड़ी तादाद में किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई नाकों पर डटे हैं।
ठंड की वजह से 33 किसानों की मौत हो चुकी है। लेकिन नए कृषि कानूनों को लेकर किसान प्रतिनिधियों और सरकार के बीच गतिरोध बना हुआ है और फिलहाल कोई हल होता नहीं दिख रहा है। ना किसान हट नहीं रहे और न ही सरकार झुक रही है। हालांकि सरकार किसानों के सुझाव के मुताबिक कृषि कानून में संशोधन के लिए तैयार है। लेकिन किसानों को कृषि कानूनों की वापसी से कुछ मंजूर नहीं है।
वहीं किसानों ने आज 24 घंटे के भूख हड़ताल का ऐलान किया है। स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कृषि कानूनों के विरोध में भूख हड़ताल का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि हमने सभी प्रदर्शन स्थलों पर 24 घंटे की रिले भूख हड़ताल शुरू करने का फैसला किया है।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एकबार फिर कहा है कि तक बिल वापिस नहीं होगा, एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा तब तक किसान यहां से नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि किसान दिवस 23 दिसंबर को मनाया जाता है, मैं लोगों से उस दिन एक समय का भोजन ग्रहण न करें और किसान आंदोलन को याद करें।
उधर किसान नेता जगजीत सिंह ढल्लेवाला ने कहा कि हमने 25 दिसंबर से 27 दिसंबर तक हरियाणा में टोल प्लाजा को फ्री करने का फैसला किया है। साथ ही उन्होंने सभी किसान समर्थकों से 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात के दौरान थाली बजाने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि जबतक प्रधानमंत्री का संबोधन होगा तबतक थाली बजाते रहें।
इन सबके बीच कल की शाम को किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलने के लिए कृषि भवन पहुंचा। इससे पहले भी कई चरणों में किसानों की कृषि मंत्री से बातचीत हो चुकी है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक सरकार एकबार फिर किसान नेताओं को बातचीत के लिए न्यौता भेज सकती है।
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