वरुण सिन्हा, नई दिल्ली: किसानों के आंदोलन का आज 77वां दिन है। लेकिन कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध का अब तक कोई हल नहीं निकल सका है। बताया जा रहा है कि आज किसान आंदोलन को लेकर संयुक्त मोर्चा की आज अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक आंदोलन की अगली रणनीति बनाई जाएगी।
गणतंत्र दिवस पर कृषि कानूनों के विरोध में निकाली गई ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद से लापता बलजिंदर सिंह की तलाश के लिए पुलिस की तीन टीमें गठित की गईं हैं। बलजिंदर की तलाश की जा रही है। अब तक 15 लोगों से पूछताछ की जा चुकी है।
किसान नेताओं का कहना है कि उन्हें कानून वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। किसान संगठनों का कहना है कि नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक के लिए निलंबित रखने का सरकार का मौजूदा प्रस्ताव उन्हें स्वीकार नहीं है। किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने अल्टीमेटम देते हुए कहा कि 2 अक्टूबर तक सरकार हर हाल में कृषि कानूनों को वापस ले ले। वहीं सरकार का कहना है कि वो इसमें संशोधन के तैयार है लेकिन कृषि कानून वापस नहीं होगा।
हालांकि सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद किसानों के रूख में नरमी देखी जा रही है। किसान एकबार फिर सरकार से वार्ता को फिर तैयार हैं। किसान नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार वार्ता का स्थान और तारीख तय करे। किसान वार्ता से कभी पीछे नहीं हट रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री से लेकर उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी की बात सिर्फ मौखिक रूप में कर रहे हैं।
इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत आज हरियाणा के कुरुक्षेत्र में किसान महापंचायत करेंगे। इसके पहले रविवार को चरखी दादरी में किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा था कि, केंद्र सरकार को विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए। एमएसपी प्रणाली को जारी रखने का विश्वास दिलाने के लिए एक नया कानून बनाना चाहिए और गिरफ्तार किए गए किसानों को रिहा कर देना चाहिए।
आपको बता दें कि इन कानूनों को लेकर किसानों की सरकार के बीच अबतत 11 दौर की वार्ता हो चुकी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलकर पाया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और इन कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हैं।
गौरतलब है कि पिछले 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील है।
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