कुंदन सिंह, नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 74वां दिन है। किसान नेताओं का कहना है कि उन्हें कानून वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। किसान संगठनों का कहना है कि नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक के लिए निलंबित रखने का सरकार का मौजूदा प्रस्ताव उन्हें स्वीकार नहीं है।
आज हरियाणा के चरखी दादरी किसान महापंचायत करने वाले हैं। इस महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत भी शामिल होंगे। महापंचायत में शामिल होने से पहले शनिवार को किसान क्रांति 2021 का ऐलान किया। राकेश टिकैत ने कहा है कि हमने सरकार को 2 अक्तूबर तक का समय दिया है। इसके बाद हम आगे की रणनीति पर करेंगे। हम दबाव में सरकार के साथ चर्चा नहीं करेंगे।
इससे पहले कल यानि 6 फरवरी को किसान संगठनों ने 3 राज्यों दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़ देशभर में चक्काजाम किया। दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक किए गए जाम का सबसे ज्यादा असर राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में दिखा। इस जाम के बाद 40 किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शनपाल के एक बयान ने किसान संगठनों की फूट को उजागर कर दिया। दरअसल, राकेश टिकैत ने चक्काजाम से दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड को अलग रखा था। दर्शनपाल ने इस फैसले पर कहा कि ऐसा बयान देने से पहले टिकैत को हमसे बात करनी चाहिए थी। उन्होंने जल्दबाजी में बयान दे दिया।
इससे पहले, किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध जताते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शहादत दिवस पर 30 जनवरी को दिनभर का उपवास रखा था। किसान संगठनों ने दिल्ली में 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड भी निकाली थी। हालांकि ट्रैक्टर रैली में काफी हंगामा हुआ था। किसानों का आरोप है कि उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय बजट 2021-22 में किसानों की अनदेखी की गई है और उनके विरोध स्थलों पर पानी और बिजली की सप्लाई बंद कर दी गई है। इसी कड़ी में सिंघु बॉर्डर पर आज संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होने वाली है जिसमें किसान आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे।
गौरतलब है कि इन कानूनों को लेकर किसानों की सरकार के बीच अबतत 11 दौर की वार्ता हो चुकी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलकर पाया है।कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी और इन कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हैं।
आपको बता दें कि कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोरोना के खतरों के बीच 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील है।
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