प्रभाकर मिश्रा, नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 47वां दिन है। आज कृषि कानूनों और किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता में इस मसले की सुनवाई होगी। वहीं सुप्रीम कोर्ट आंदोलन से कोरोना फैलने की आशंका को लेकर काफी सख्त नजर आ रहा है।
पिछले हफ्ते एक मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने बातचीत के जरिए गतिरोध सुलझाने पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर सरकार ने जानकारी दी कि आंदोलनकारी संगठनों के साथ उसकी बातचीत सही दिशा में चल रही है, तो सुनवाई को टाला भी जा सकता है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कहा था कि ' किसान विवाद नहीं, समाधान चाहता है। यही वजह है कि अपनी मांगों को कई बार ठुकराने के बावजूद वह सरकार के बुलावे पर हर बार वार्ता के लिए पहुंच रहा है। सरकार से वार्ता के लिए 40 किसानों की कमेटी बनाई गई है। इनमें से कुछ लगातार समाधान के बीच रोड़ा बन रहे हैं, पता चलना चाहिए कि वह कौन लोग हैं।'
सरकार और किसान दोनों ही मानने को तैयार नहीं है। सरकार की ओर से कानूनों में संसोधन की बात भी कही जा रही है, लेकिन इन्हें वापस लेने पक्ष में नहीं है। ऐसे में दोनों के बीच डैड लॉक की स्थिति बनी हुई है। दोनों अपने अपने रूख पर अड़े हैं। वक्त के साथ किसानों ने अपने आंदोलन की रणनीति को भी बदल लिया है।
किसानों की एक संस्था 'कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स असोसिएशन' (CIFA) ने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया और मामले में पक्षकार बनाए जाने का अनुरोध किया। उसने कहा कि कानून किसानों के लिये 'फायदेमंद' हैं और इनसे कृषि में विकास और वृद्धि आएगी। उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले तीनों विवादित कृषि कानूनों को लेकर दायर कई याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगा था।
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