मनीष कुमार, नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 46वां दिन है। हड्डियां गला देने वाली ठंड और बारिश के बीच डटे किसान किसी कीमत पर अपनी मांगें बिना मनवाए वापस जाने के मूड में नहीं हैं। मसले का अबतक हल न निकलने से किसानों में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। सिंघु बॉर्डर पर कल एक किसान ने आत्महत्या कर ली।
दिल्ली-हरियाणा सिंघु सीमा पर पंजाब के 40 वर्षीय एक किसान ने जहर खाकर खुदखुशी कर ली। मृतक अमरिंदर सिंह पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले के रहने वाले थे। शनिवार देर शाम उन्होंने सल्फास खा लिया, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई।
सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे एक किसान ने बताया कि शाम बॉर्डर के मुख्य स्टेज के पीछे उन्होंने सल्फास खाया, वहीं स्टेज के सामने मौजूद पंडाल के सामने आकर गिर गए, मौके पर खड़े अन्य किसान उन्हें अस्पताल ले गए, जहां उनकी करीब शाम 7 बजे मृत्यु हो गई।
इस बीच शुक्रवार को किसान संगठन और सरकार के बीच 9वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही। अब अगले दौर की बैठक के 15 जनवरी को होगी। बैठक के बाद केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा, कानूनों पर चर्चा हुई लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका। सरकार ने आग्रह किया कि यदि किसान कानूनों को निरस्त करने के अलावा कोई विकल्प दिया जाए, तो हम इस पर विचार करेंगे। लेकिन कोई विकल्प प्रस्तुत नहीं किया जा सका, इसलिए बैठक संपन्न हुई और 15 जनवरी को अगली बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।
गौरतलब है कि कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोरोना के खतरों के बीच 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील हैं।
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