प्रभाकर मिश्रा, नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 45वां दिन है। हड्डियां गला देने वाली ठंड और बारिश के बीच डटे किसान किसी कीमत पर अपनी मांगें बिना मनवाए वापस जाने के मूड में नहीं हैं। मसले का अबतक हल न निकलने से किसानों में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बीच शुक्रवार को किसान संगठन और सरकार के बीच 9वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही। अब अगले दौर की बैठक के 15 जनवरी को होगी।
9वें दौर की बैठक में एकबार फिर सरकार ने कानूनों को निरस्त करने की मांग को सिरे खारिज कर दी। वहीं किसानों ने कहा कि उनकी लड़ाई आखिरी सांस तक जारी रहेगी और 'घर वापसी' तभी होगी जब इन कानूनों को वापस लिया जाएगा। अब अगली बैठक 15 जनवरी को होगी। ऐसे में साफ कि 11 जनवरी को किसानों के आंदोलन को लेकर उच्चतम न्यायालय में कई याचिकाओं पर एक साथ निर्धारित सुनवाई के बाद ही वार्ता का अगला रुख स्पष्ट होगा।
बैठक के बाद अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्ला ने कहा, चर्चा गर्म थी। हमने कहा कि हम कानूनों को निरस्त करने के अलावा कुछ नहीं चाहते हैं। हम किसी भी अदालत में नहीं जाएंगे, यह (निरसन) या तो किया जाएगा या हम लड़ना जारी रखेंगे। 26 जनवरी को हमारी परेड योजना के अनुसार होगी। नौंवे दौर की वार्ता में भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया है, अब 15 जनवरी को फिर से बैठक का आयोजन किया जाएगा।
बैठक के बाद केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा, कानूनों पर चर्चा हुई लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका। सरकार ने आग्रह किया कि यदि किसान कानूनों को निरस्त करने के अलावा कोई विकल्प दिया जाए, तो हम इस पर विचार करेंगे। लेकिन कोई विकल्प प्रस्तुत नहीं किया जा सका, इसलिए बैठक संपन्न हुई और 15 जनवरी को अगली बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।
गौरतलब है कि कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोरोना के खतरों के बीच 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील हैं।
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