कुंदन सिंह, नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 131वां दिन है। लेकिन इस गतिरोध का अबतक कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। एक तरफ जहां किसान अपनी मांगों पर अड़े हैं वहीं सरकार भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान अड़े हैं, हालांकि उनकी तादाद अब काफी कम हो गई है।
इन सबके बीच किसान नेता अपने आंदोलन को फिर से तेज करने और धार देने आंदोलनकारी किसान लगातार नई रणनीति पर मंथन कर रहे हैं। इतना ही नहीं अपने साथ ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ने के लिए किसान संगठनों के बड़े नेता लगातार पंचायत और महापंचायत कर रहे हैं। किसानों की मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे किसानों ने रोहतक में शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज की कड़ी निंदा की है।
कृषि संबंधी तीन कानूनों और एमएसपी गारंटी को लेकर चल रहे आंदोलन के तहत संयुक्त किसान मोर्चा ने आज एफसीआई (FCI) बचाओ दिवस मनाने का ऐलान किया है। इसके तहत किसान देशभर में एफसीआई के दफ्तरों का सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक घेराव करेंगे।
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गौरतलब है कि पिछले 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को दूर करने को लेकर किसानों की सरकार के बीच अबतक 12 दौर की वार्ता हो चुकी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलकर पाया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और इन कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हैं।
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