नई दिल्ली: दिल्ली में सिंघु बॉर्डर पर किसान पूरी तैयारी के साथ आंदोलन स्थल पर बैठे हैं। उन्हें कई संगठनों की ओर से मदद दी जा रही है। सिंघु बॉर्डर पर किसानों को आराम देने के लिए खालसा ऐड ने 25 फुट मसाजर स्थापित किए हैं। खालसा एड के प्रबंध निदेशक अमरप्रीत का कहना है कि इस पहल में, हम बुजुर्ग किसानों को प्राथमिकता दे रहे हैं क्योंकि वे बहुत लंबे समय से यहां हैं और काफी थक गए हैं।
कृषि कानून पर अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर का कहना है कि एमएसपी पर सरकार लिखित गारंटी देने के लिए तैयार है। इसके साथ ही प्रस्तावों पर चर्चा करने के लिए भी तैयार है। किसान समय बताएं। इधर किसान संगठनों का कहना है कि अब रेल रोको आंदोलन किया जाएगा। जब तक कानून पूरी तरह से वापस नहीं लिया जाएगा, तब तक वे आंदोलन करते रहेंगे।
इधर, खुफिया विभाग ने किसान आंदोलन से जुड़ी एक रिपोर्ट सरकार को भेजी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अल्ट्रा-लेफ्ट नेताओं और प्रो-लेफ्ट विंग के चरमपंथी तत्वों ने किसानों के आंदोलन को हाईजैक किया है। कहा गया है कि ये तत्व किसानों को हिंसा, आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाने की योजना बना रहे हैं।
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि टुकड़े-टुकड़े गैंग किसान आंदोलन को ओवरटेक करने में लगा है, यह एक भयावह तरीका है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि शायद इन्हीं लोगों की वजह से बातचीत असफल हो रही है।
टिकरी बॉर्डर पर गुरुवार को शरजील इमाम, गौतम नवलखा और उमर खालिद के पोस्टर पर उठाए गए। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि एमएसपी, एएमपीसी किसानों का मुद्दा हो सकता है, लेकिन इस तरह के पोस्टर और इस तरह के मुद्दे को उठाने का क्या मतलब है।
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