नई दिल्लीः कभी गुजरात के मुख्यमंत्री रहे केशुभाई पटेल का गुरुवार को निधन हो गया है। वो 92 साल के थे। बताया जा रहा है कि उनका निधन कार्डियक अरेस्ट के कारण हुआ है। वो गुजरात के दो बार मुख्यमंत्री रहे। उनका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काफी घनिष्ठ संबंध रहा। केशुभाई जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे। वह दो बार मुख्यमंत्री बने लेकिन राजनीतिक तख्तापलट की वजह से दोनों बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। 2001 में उनकी जगह नरेंद्र मोदी ने CM पद की शपथ ली। मोदी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु भी मानते हैं।
1977 में केशुभाई पटेल राजकोट से लोकसभा के लिए चुने गए थे। बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया और बाबूभाई पटेल की जनता मोर्चा सरकार में 1978 से 1980 तक कृषि मंत्री रहे। पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री बनने पर कहा भी था कि सूबे की असल कमान केशुभाई के हाथ में ही है। उन्हें बीजेपी का रथ हांकने वाला सारथी करार दिया था।
- जानिए केशुभाई पटेल कौन थे
गुजरात में जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक केशुभाई पटेल उन लोगों में से थे, जिन्होंने राज्य में भाजपा को खड़ा किया था। 1995 में उन्हीं के नेतृत्व में भाजपा ने पहली बार अपनी सरकार बनाई और वह मुख्यमंत्री बने। मगर अब खराब स्वास्थ्य के चलते सक्रिय राजनीति में उनकी भूमिका कम होती चली गई।
- तल्खी के चलते देना पड़ा पार्टी से इस्तीफा
भाजपा से उनके रिश्ते बनते बिगड़ते रहे। पहली बार मुख्यमंत्री बनने के सात महीने बाद ही उन्हें शंकरसिंह वाघेला से विवाद के चलते इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में 1998 में वह फिर से मुख्यमंत्री चुने गए, लेकिन 2001 में उन्होंने पद छोड़ दिया। माना गया कि भ्रष्टाचार और भुज में आए भूकंप के दौरान कुप्रबंधन के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद से लगातार पार्टी से उनके रिश्तों में कड़वाहट आती रही। 2002 में वह चुनाव भी नहीं लड़े और 2007 में कांग्रेस को अप्रत्यक्ष तौर पर समर्थन किया। 2012 में आखिरकार उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और अलग पार्टी बना ली। मगर 2014 में वह फिर से भाजपा से जुड़ गए।
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