प्रभाकर मिश्रा, नई दिल्ली : घाटी में 1990-91 में अपने साथ हुए जुल्म और नरसंहार की जांच के लिए कश्मीरी पंडित एकबार फिर से सुप्रीम कोर्ट की ओर रूख करने जा आयोजना बना रहे हैं। जानकारी के मुताबिक ये लोग घाटी में 32 साल पहले हुए नरसंहार की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। इन लोगों का कहना है कि उनके जख्म अभी भी हरे हैं और वह सालों से न्याय के लिए बाट जोह रहे हैं। विस्थापित पंडितों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन रूट्स इन कश्मीर ने मामले की जांच के लिए अगले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया हैष
आपको बता दें कि 24 जुलाई, 2017 को कश्मीरी पंडितों की ओर से दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश जे. एस. खेहर ने विचार करने से इनकार कर दिया था। उस समय पीठ ने कहा था कि करीब 27 साल बीत गए हैं और हत्या, आगजनी एवं लूटपाट के उन मामलों में सबूत एकत्र करना बहुत मुश्किल होगा, जिनके कारण घाटी से कश्मीरी पंडितों का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ था।
रूट्स ऑफ कश्मीर के सदस्य अमित रैना का कहना है कि 'हम इस उम्मीद के साथ क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल कर रहे हैं कि अदालत इस बार इस बात का मूल्यांकन करेंगी कि उसने 2017 में गलती की थी। इसने सिख दंगा मामला भी खोला, जो कि कश्मीरी पंडित नरसंहार की तुलना में काफी पुराना है।' संगठन ने तर्क दिया है कि 21 अगस्त, 2017 को शीर्ष अदालत ने मामले को फिर से खोलते हुए विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा सिख विरोधी दंगा मामले में बंद किए गए 241 मामलों में आगे की जांच का आदेश दिया था।
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