नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से गुजरात हाईकोर्ट की डायमंड जुबली कार्यक्रम में एक स्मारक डाक टिकट जारी की। उन्होंने कहा कि हमारा जस्टिस सिस्टम ऐसा होना चाहिए, जो समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के लिए भी सुलभ हो, जहां हर व्यक्ति के लिए समय से न्याय की गारंटी हो। सरकार भी इस दिशा में अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "न्यायपालिका के प्रति भरोसे ने सामान्य नागरिक के मन में एक आत्मविश्वास जगाया है। सच्चाई के लिए खड़े होने की उसे ताकत दी है। आजादी से अब तक देश की यात्रा में हम न्यायपालिका के योगदान की चर्चा करते हैं, तो बार के योगदान के भी चर्चा करते हैं।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय समाज में रूल ऑफ लॉ, सदियों से सभ्यता और सामाजिक ताने-बाने का आधार रहा है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि सुराज्य की जड़ ही न्याय में है। हमारे संविधान में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को दी गई जिम्मेदारी, हमारे संविधान के लिए प्राणवायु की तरह है। हमारी न्यायपालिका ने संविधान की प्राणवायु की सुरक्षा का दायित्व पूरी दृढ़ता से निभाया है।
उन्होंने कहा, 'डिजिटल इंडिया मिशन आज बहुत तेज़ी से हमारे जस्टिस सिस्टम को आधुनिक बना रहा है। आज देश में 18,000 से ज़्यादा कोर्ट कम्प्यूटराइज्ड हो चुके हैं। हमारा सुप्रीम कोर्ट आज दुनिया में वीडियो कांफ्रेंस के द्वारा सबसे ज़्यादा सुनवाई करने वाला सुप्रीम कोर्ट बन गया है। भारत में आने वाले दिनों में ईज ऑफ जस्टिस और तेज़ी से बढ़े इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी एनआईसी के साथ मिलकर काम कर रही है। हमारे जस्टिस सिस्टम को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए न्यायिक प्रक्रियाओं में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है।'
पीएम ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट ने सत्य और न्याय के लिए जिस कर्तव्य और निष्ठा से काम किया है, अपने संवैधानिक कर्तव्यों के लिए जो तत्परता दिखाई है उसने भारतीय न्याय व्यवस्था और भारत के लोकतंत्र दोनों को ही मजबूत किया है।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.