अहमदाबाद: गुजरात के बहुचर्चित इशरत जहां एनकाउंटर मामले में CBI कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने माना है कि इशरत जहां लश्कर-ए-तैयबा की आंतकी थी। अदालत ने क्राइम ब्रांच के अफसर रहे गिरीश सिंघल, तरुण बारोट को बरी कर दिया है। अदालत ले क्राइम ब्रांच की मौजूदा SI अंजू चौधरी को भी निर्दोष मानते हुए मामले में बरी कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि इशरत जहां आतंकी थी। उसका संबंध लश्कर-ए-तैयबा से था। क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने अपनी ड्यूटी निभाई थी। गौरतलब है कि अहमदाबाद में कोतरपुर वाटरवर्क्स के पास 15 जून, 2004 को इशरत जहां, जावेद शेख, अमजद राम और जीशान जौहर को पुलिस एनकाउंटर में मार गिराया गया था।
बताया गया कि ये लोग लश्कर के आतंकी हैं और उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने के इरादे से आए थे। इस एनकाउंटर की अगुआई एस वक्त के DIG डीजी वंजारा ने की थी। हालांकि मामले में इशरत की मां और जावेद के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर CBI जांच की मांग की थी।
हालांकि, उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच टीम ने मामले की जांच की। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एसपी तमांग ने 243 पन्नों की रिपोर्ट कोर्ट में सौंपी। इसमें इशरत जहां एनकाउंटर को फर्जी करार दिया गया। पुलिस को कोल्ड ब्लडेड मर्डर का दोषी ठहराया गया। इधर सीबीआई ने कई पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। मामले में पुलिस के कई आला अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था।
DIG वंजारा पहले ही हो गए थे बरी:
इधर मामले में नई SIT गठित की गई। हाईकोर्ट ने एनकाउंटर में शामिल लोगों पर धारा 302 के तहत केस दर्ज करने को कहा। इधर जांच एसआईटी से सीबीआई को सौंपी गई। इधर सीबीआई ने गिरफ्तारियां शुरू की। पहले आईपीएस ऑफिसर जीएल सिंघल को गिरफ्तार किया। इसके बाद पुलिस अफसर जेजी परमार और तरुण बारोत को भी गिरफ्तार किया गया। एनकाउंटर की अगुआई करने वाले आईपीएस डीजी वंजारा को गिरफ्तार अरेस्ट किया गया। सीबीआई कोर्ट ने 5 फरवरी 2015 को डीजी वंजारा को जमानत दे दी थी। इधर गत वर्ष सितंबर में डीएसपी जेजी परमार का निधन हो गया था। वहीं बाकी तीन अफसरों को भी कोर्ट ने बरी कर दिया है।
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