नई दिल्ली: भारतीय नेवी में तीसरी स्कॉर्पीन पनडुब्बी INS करंज शामिल हुई। INS करंज को मुंबई में नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। इस मौके पर नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और एडमिरल (सेवानिवृत्त) वीएस शेखावत भी उपस्थिति थे। इस पनडुब्बी का निर्माण मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत हुआ है।
INS करंज चंद सेकेंडों में अपने टारगेट को ध्वस्त करने की क्षमता रखती है। ये सतह और पानी के अंदर से टॉरपीडों और टयूब लॉन्च एंटी शिप मिसाइलें दा सकती हैं। ये पनडुब्बी एंटी सबमरीन वॉरफेयर, एंटी सरफेस वॉरफेयर, जैसे कई मिशनों को अंजाम देने की क्षमता रखती है।
नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह INS करंज के नौसेना में शामिल होने पर कहा, ''आत्मनिर्भर या स्वदेशीकरण के लिए भारतीय नौसेना की विकास कहानी और भविष्य के प्रक्षेपवक्र का एक मूल सिद्धांत है। भारतीय नौसेना पिछले 7 दशकों में रक्षा में स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता की मजबूत समर्थक रही है। वर्तमान में 42 जहाजों और पनडुब्बियों में से 40 का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया जा रहा है।''
INS करंज की ताकत
नौसेना के मुताबिक, स्कोर्पिन क्लास (कलवरी क्लास) पनडुब्बी एक डीजल सबमरीन है, जो 40-50 दिनों तक समंदर में तैनात रह सकती है। करीब 70 मीटर लंबी और 12 मीटर ऊंची ये पनडुब्बी अपनी क्लास की दूसरी पनडुब्बियों की तरह ही मिसाइल और टॉरपीडो से लैस है और समंदर में माइन्स भी बिछाने में सक्षम है। इसके अलावा करंज को सर्विलांस और रिकोनेसेंस के लिए भी करीब 350 मीटर गहरे समंदर में तैनात किया जा सकता है।
करंज का मतलब
नौसेना ने करंज पनडुब्बी की अंग्रेंजी स्पैलिंग के नाम पर इसकी एक अलग शब्दावली तैयार की है।
के- किलर इन्सटिंक्ट
ए- आत्मनिर्भर (भारत)
आर- रेडी
ए- एग्रेसिव
एन- निम्बल
जे- जोश
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