नई दिल्ली: चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है, लेकिन भारतीय सेना भी मुस्तैदी से सीमा पर डटी हैं। चीन की किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए सेना पूरी तरह से तैयार है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच गतिरोध खत्म नहीं हुआ है। इस बीच सरकार ने भारत तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) को सीमा पर चौकसी बढ़ाने के उद्देश्य से 47 अतिरिक्त सीमा चौकियां स्थापित करने की अनुमति दे दी है। ये चौकियां जल्द ही स्थापित की जा सकती हैं।
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद चीन से लगती सीमाओं पर निगरानी रखने वाली आईटीबीपी की ओर से चौकियां बढ़ाने की मंजूरी मिलने को महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने ग्रेटर नोएडा में आईटीबीपी के 59वें स्थापना दिवस पर बोलते हुए कहा कि सरकार ने इस सुरक्षा बल को और अधिक सक्षम और आधुनिक बनाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं।
मंत्री ने यह भी कहा कि आईटीबीपी को 28 प्रकार के नए वाहन प्रदान किए गए हैं और 7,22,000 करोड़ रुपये का बजट भी आवंटित किया गया है। रेड्डी ने कहा कि भारतीय संस्कृति 'वसुधैव कुटुम्बकम, जो विश्व शांति का संदेश देती है, उसके बारे में कहती है। लेकिन साथ ही, हमारी संस्कृति हमें हर तरह की प्रतिकूल परिस्थिति के लिए खुद को पूरी तरह से सशक्त बनाने का मंत्र भी देती है। मंत्री ने इशारों में चीन को साफ संकेत दे दिया कि हमारी शांति भंग करने की कोशिश न की जाए, वर्ना सेना माकूल जवाब दे देगी।
आईटीबीपी की ओर से प्रदान की गई सेवाओं की सराहना करते हुए, रेड्डी ने कहा कि बल पर्वतीय सीमाओं पर असंगठित और चरम स्थितियों में भी उत्साह के साथ काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि सीमा सुरक्षा के अलावा यह बल जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई के अलावा विदेश में शांति मिशनों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
मंत्री ने देश में कोविड-19 महामारी के प्रसार से निपटने के लिए विभिन्न प्रयासों में आईटीबीपी द्वारा प्रदान की गई निस्वार्थ सेवा की भी जमकर तारीफ की। इस दौरान रेड्डी ने आईटीबीपी कर्मियों को छह राष्ट्रपति पुलिस पदक और मेधावी सेवाओं के लिए 23 पुलिस पदक प्रदान किए।
चीन का बिना नाम लिए गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि एलएसी पर पिछले कुछ महीनों में जो कुछ (तनाव) हुआ उससे कुछ देशों की सेनाओं का खुद दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में होने का भ्रम टूट गया है। रेड्डी ने कहा कि इस भ्रम को तोड़ने में आईटीबीपी और सेना के जवानों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दरअसल, डोकलाम में 2017 में भारतीय सैनिकों ने चीन का यह सर्वोच्च शक्ति बनने का 'भ्रम' तोड़ दिया था।
हाल ही भारत-चीन सीमा पर तनाव के बीच एक बार फिर चीन ने भारत में घुसपैठ करने की नाकाम कोशिश की थी, पेंगौंग त्यो झील के पास चीनी सैनिक पूरी तैयारी की साथ एलएसी की तरफ बढ़ रहे थे, लेकिन पहले से तैयार भारतीय सेना ने उसे एक बार फिर पीछे धकेल दिया।
भारत-चीनी सैनिकों के बीच हुए 2017 डोकलाम विवाद पर अमेरिकन जियोपॉलिटिकल इंटेलीजेंस प्लेटफॉर्म स्ट्रैटफोर ने बड़ा खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, डोकलाम 2017 गतिरोध ने स्पष्ट रूप से स्थापित किया था कि इस रणनीति के माध्यम से किसी भी तरह की उकसाने वाली कार्यवाही का भारत द्वारा विरोध किया जाएगा।
अन्य विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि डोकलाम में भारत की जवाबी रणनीति ने चीन को 'जोर का झटका' दिया, क्योंकि भारत पीछे हटने को तैयार नहीं था। हालांकि चीन ने कभी ऐसा नहीं सोचा था कि भारत इतनी जबर्दस्त कार्यवाही करेगा। भारत की इस कार्यवाही से चीन का सर्वोच्च शक्ति बनने का मिथक भी टूट गया।
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