संजीव त्रिवेदी, नई दिल्ली: लद्दाख (Ladakh) में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी तनाव के बीच आज एकबार फिर भारत और चीन के बीच कमांडर स्तरीय बातचीत होने जा रही है। दोनों देशों के बीच ये 9वीं दौर की बैठक है। ये बैठक चीन की ओर मोल्डो में होगी। सूत्रों के मुताबिक भारत की ओर से इस बार की वार्ता में कुछ बदलाव किया जा सकता है। पिछली कुछ बैठकों की तरह इस बार भी विदेश मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं।
इस सैन्य वार्ता में भारत पूर्वी लद्दाख में टकराव के बिंदुओं से चीन द्वारा सैनिकों की पूरी तरह से जल्द वापसी पर जोर देगा। इससे पहले दोनों पक्षों के बीच आखिरी सैन्य बैठक 6 नवंबर को हुई थी। जिसमें दोनों पक्षों ने टकराव वाले सभी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी पर व्यापक बातचीत की थी।
भारत का मानना है कि टकराव वाले सभी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया एक साथ शुरू हो। भारत पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर कई रणनीतिक ठिकानों से भारतीय सैनिकों की वापसी के लिए चीन की किसी भी मांग का पुरजोर विरोध करेगा।
भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लगभग आठ महीनों से सीमा पर गतिरोध बना हुआ है। राजनयिक और सैन्य वार्ता के कई दौर हो चुके हैं, लेकिन अब तक कोई बड़ी सफलता हासिल नहीं हुई है।
इससे पहले 18 दिसंबर, 2020 को विदेश मंत्रालय स्तर की वार्ता में दोनों देशों ने कहा था कि वे वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ सभी तनाव वाले स्थानों से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित करने की दिशा में काम जारी रखने को तैयार हैं। उसी वक्त नौवें दौर की वार्ता को लेकर सहमति बनी थी।
पिछले सप्ताह ही सेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने कहा था कि भारत बातचीत से मसले का हल करने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन भारतीय सेना किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार है। भारतीय सेनाध्यक्ष के बयान को चीन के लिए स्पष्ट संदेश माना गया था।
गौरतलब है कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर पिछले मई के पहले हफ्ते से भारत और चीन के सैनिक आमने सामने हैं। LAC पर पिछले मई के पहले हफ्ते से भारत और चीन के तकरीबन 50-50 हजार सैनिक आमने सामने हैं। हालात काफी तनावपूर्ण है। यही वजह है कड़ाके की ठंड में भी सीमा पर दोनों ओर से सैनिकों का जबरदस्त जमावड़ा है।
आपको बता दें चीन से निपटने के लिए भारत हर मोर्चे पर तैयार है। भारत ने चीन को साफ शब्दों में कहा कि सभी विवादित पॉइंट से उसे फौरन पीछे हटना होगा। चीन को अप्रैल-मई 2020 की स्थिति पर जाना होगा। पीछे हटने की शुरुआत चीन करे, क्योंकि विवाद की वजह चीनी सेना है। साथ ही भारत ने चीन को साफ-साफ कह दिया है कि अगर चीन पूरी तरह से वापस जाने और पहले जैसी स्थिति बहाल नहीं करेगा, तो भारतीय सेना सर्दियों में भी सीमा पर डटी रहेगी। वहीं चीन का कहना है कि 'भारत को पैन्गॉग त्सो के दक्षिणी इलाके की उन पोजिशन को खाली करना चाहिए, जिन पर 29 अगस्त के बाद कब्जा किया है।'
गौरतलब है कि लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर वार्ता का पहला दौर छह जून को हुआ था जिसमें दोनों पक्षों ने गतिरोध वाले क्षेत्रों से पीछे हटने के एक समझौते को अंतिम रूप दिया था। हालांकि 15 जून को उस समय स्थिति बिगड़ गई जब गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंस झड़प हुई। तनाव उस समय बढ़ गया था जब गलवान घाटी में हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। झड़प में चीन के 40 से सैनिक भी हताहत हुए थे लेकिन इस संबंध में उसने कोई जानकारी नहीं दी।
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