नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग लेक के दोनों तरफ से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गई है। सेना के सूत्रों ने बताया कि चीन की सेना फिंगर 8 के पीछे चली गई है और भारत की सेना फिंगर 3 के पास अपनी पुरानी वाली जगह पर आ गई है। अब भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच हॉट स्प्रिंग, गोगरा और देपसांग को लेकर बातचीत होगी।
भारत का कहना है कि चीन की सेना अप्रैल 2020 वाली जगह पर जाए। दोनों देशों के बीच कल 10 बजे चीन के इलाके मोलडो में बैठक होगी, जोकि चुशुल के दूसरी तरफ बॉर्डर पर है।
दोनों पक्षों ने पैंगोंग त्सो के किनारे से सैनिकों, टैंकों और अन्य उपकरणों को वापस बुलाया लिया है, जोकि लंबे समय तक सीमा विवाद में एक अहम जगह बनी हुई थी।
मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर कुछ क्षेत्रों की उपग्रह तस्वीरों ने जनवरी के अंत में कई चीनी सैन्य शिविरों को दिखाया गया था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद को बताया कि दोनों पक्ष पैंगोंग त्सो के आसपास "चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके" से सैनिकों को वापस बुलाले पर सहमती हुई है, जिसके बाद सैन्य कमांडर लद्दाख सीमा के अन्य हिस्सों में गतिरोध को समाप्त करने पर चर्चा करेंगे।
अप्रैल में उच्च ऊंचाई वाली सीमा पर तनाव बढ़ने लगा था, जब भारत ने चीनी सैनिकों पर वास्तविक सीमा रेखा के अपने हिस्से में घुसपैठ करने का आरोप लगाया था।
लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को झड़प में 20 भारतीय शहीद हो गए थे, जिसके बाद जून में दोनों देशों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई।
राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद के कई दौरों के बावजूद भारत और चीन फरवरी तक समझौते पर नहीं पहुंच पाए थे।
इस सप्ताह के शुरू में सेना द्वारा जारी किए गए वीडियो और चित्र में चीनी सैनिकों को बंकर, टेंट, टैंक, सैनिक और वाहनों को ले जाने की प्रक्रिया के हिस्से के रूप में बाहर निकलते हुए दिखाया गया था।
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