Independence Day Spl: देश में स्वतंत्रता दिवस की धूम है। भारत ही नहीं दुनियाभर में दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के जश्न-ए-आजादी की धूम देखी जा रही है। हालंकि कोरोना संकट की वजह से लोग सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ इस जश्न को मना रहे हैं। इस मौके पर देश को आजादी दिलाने भूमिका निभाने वाले और अपने जान की कुर्बानी देने वाले शहीदों को भी लोग नमन कर रहे हैं।
इस कड़ी में हम बता दें कि यूपी का वाराणसी भी देश की आजादी में स्वतंत्रता संग्राम का गवाह रहा है। वाराणसी के चौक थाने के बगल में दालमंडी के नाम से प्रसिद्ध गली आज व्यापार का बड़ी जगह है, लेकिन कभी इसी गली में कोठे हुआ करते थे जहां से आने वाली तवायफों ने अंग्रेजी हुकूमत को हिला कर रख दिया था।उस दौर में राजेश्वरी बाई, जद्दन बाई से लेकर रसूलन बाई तक के कोठों पर सजने वाली महफिलें महज मनोरंजन का केंद्र ही नहीं होती थी। अंग्रेजों को देश से निकालने की रणनीति भी यहीं से तय होती थी।'फुलगेंदवा न मारो, मैका लगत जोबनवा (करेजवा) में चोट...', जैसे गीत से मशहूर रसूलन बाई ने महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन के दौरान से ही आभूषण पहनना छोड़ दिया था। अपने प्रण के मुताबिक उन्होंने देश के आजाद होने के बाद ही विवाह किया था। आजाद भारत में रसूलन बाई को संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।कजली गायिका सुंदरी अंग्रेज सेना के छक्के छुड़ा देने वाले अपने प्रेमी नागर को याद कर जिंदगी भर आजादी के तराने गाती रही। नागर को कालापानी की सजा होने पर सुंदरी का मानसिक संतुलन बिगड़ गया था। वह गंगा घाट की सीढ़ियों पर बैठ गाती रहती थी, 'सबकर नैया जाला कासी हो बिसेसर रामा, नागर नैया जाला कालेपनियां रे।'
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