Independence Day SPL: देशभर आज 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। भारत को आजाद हुए आज 73 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर देशभर में तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। हालांकि कोरोना संकट के कारण इस आयोजन के दौरान लोग सोशल डिस्टेंसिंग समेत अन्य एहतियात बरत रहे हैं। भारत ही नहीं दुनियाभर में बसे भारतीयों खासा उत्साह देखा जा रहा है। लोग अपने-अपने तरीके से आजदी और देश के लिए कुर्बान होने वाले वीर और महापुरुषों को श्रद्धासुमन भी अर्पित कर रहे हैं। लेकिन क्या आपको बता है कि भारत की आजादी में यूपी के कई शहरों का खासा योगदान रहा था। बता दें कि 10 मई 1857 को मेरठ से ही आजादी की पहली चिंगारी भड़की थी।
1857 के पहले विद्रोह की शुरुआत 10 मई को मेरठ से हुई थी, इस दिन को आज भी क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाता है। 10 मई की शाम को चर्च का घंटा बजते ही लोग घरों से निकलकर इकट्ठा हो गए। सदर बाजार में अंग्रेज फौज के खिलाफ बजा क्रांति का बिगुल देखते ही देखते दिल्ली तक फैल गया। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। जी हां 1857 की क्रांति में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने विद्रोह की अगुवाई की। हालांकि, 22 वर्ष की उम्र में रानी लक्ष्मीबाई इस लड़ाई में वीरगति को प्राप्त हुईं लेकिन जंग में दिखाए गए जज्बे ने उनका नाम हमेशा के लिए अमर कर दिया। एक अंग्रेज अधिकारी ने तो उन्हें 1857 की लड़ाई का इकलौता मर्द कहा था।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के पास 5 फरवरी 1922 को भारतीय क्रांतिकारियों ने विद्रोह स्वरूप ब्रिटिश पुलिस चौकी को आग लगा दी, जिसमें 22 पुलिसवाले जलकर मर गए। चौरी-चौरा कांड के चलते ही महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था।आजादी की लड़ाई का महत्वपूर्ण केंद्र रहे इलाहाबाद का अल्फ्रेड पार्क शहीद चंद्रशेखर आजाद की वीरता की गाथा गाता है। 27 फरवरी 1931 को अंग्रेजों ने आजाद को घेर लिया। दोनों तरफ से काफी देर तक फायरिंग होती रही। आखिरकार जब आजाद के पास एक गोली बची तो उन्होंने अपनी कनपटी पर पिस्टल रखते हुए गोली मार ली और क्रांति की बलिवेदी पर न्यौछावर हो गए।
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