के जे श्रीवत्सन, जयपुर: राजस्थान में इनकम टैक्स विभाग की एक ऐसी कार्रवाई चल रही है, जिसमें अब तक करीब 1400 करोड़ रूपये की अघोषित आय का पता चल चुका है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे नए चौंकाने वाले खुलासे भी हो रहे हैं। तीन अलग-अलग लोगों पर चल रही यह कार्रवाई कितनी बड़ी होगी, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें 200 से ज्यादा इनकम टैक्स विभाग के अधिकारी पिछले 4 दिनों से छापेमारी में लगे हुए हैं, लेकिन अभी भी यह पूरी होने का नाम नहीं ले रही है। यहां तक कि एक सुरंग से 550 करोड़ रूपये के एंटीक आईटम के साथ अल्फा-न्यूमेरिक सीक्रेट कोड के भारी पैमाने पर डिजिटल दस्तावेज भी जब्त हुए हैं। जिन्हें अब डिकोड करने की कोशिश चल रही है।
इनकम टैक्स विभाग की इस साल की जयपुर में चल रही कार्यवाही के खुलासे ने सभी को चौंका दिया है। यह छापा पिछले चार दिन से तीन कारोबारी समूहों के विभिन्न ठिकानों पर मारे गए। जिसमें ऐसे चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं जिसे सुनकर आप भी हैरत में रह जाओगे। जिन तीन जगहों पर कार्यवाही हुई, उनमें से एक जगह जयपुर के आमेर इलाके के सिल्वर एंड आर्ट पैलेस भी है। इसकी इस इमारत को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस कदर के गोरखधंधे से यहां कारोबार चल रहा होगा।
यहां का सारा कारोबार विदेशी मुद्रा से होता था। आयकर विभाग की 40 टीमों में से 20 टीमें अकेले इसी जगह दबिश में जुटी हैं। आयकर छापों में सबसे चौंकाने वाला मामला ज्वैलर समूह सिल्वर आर्ट ग्रुप के ठिकाने पर मिली सुरंग का रहा। इस सुरंग से जब्त सैकड़ों करोड़ के बेनामी संपत्ति और अघोषित आय के दस्तावेजों की जांच में आयकर विभाग जुटा है।
खुद आयकर विभाग के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अब तक की छापेमारी में इस तरह सुरंग बनाकर राज दफन करने का मामला कभी नहीं देखा क्योंकि पहले दिन 19 जनवरी को तड़के 4 बजे जब इस जगह छापे की कार्रवाई हुई तो शुरुआत में आयकर अफसरों को कुछ हाथ नहीं लगा।
छापेमारी में जुटे आयकर अफसरों के पास पुख्ता सबूत थे, ऐसे में एक फिल्म के दृश्य को आधार बनाकर तहखाने, बेसमेंट और दीवारों के डायरेक्शन में लगे सीसीटीवी की जांच शुरू की और यही से उन्हें क्लू मिलता चला गया। करीब 10 घंटे की मशक्कत के बाद आयकर अफसरों को एक कमरे में एक दीवार के आगे दूसरी दीवार खड़ी दिखाई दी।
दोनों दीवारों के बीच के भाग को खोदकर गहरा कर दिया था। बारीकी से जांच करने पर एक ढक्कननुमा छेद मिला, उस ढक्कन को हटाने पर एक पतली सुरंग का दरवाजा मिला, जिसमें एक आदमी भी बहुत मुश्किल से प्रवेश कर सकता था। जिसके बाद एक के बाद एक इनसे जुड़े 11 से भी ज्यादा ठिकानों पर दबिश शुरू कर दी गई।
इस बिल्डिंग में बने सुरंगनुमा इस तहखाने को देखकर एकबारगी तो आयकर अफसर भी चौंक गए। सुरंग की तलाशी ली तो भारी मात्रा में बेशकीमती प्रीसियश और सैमी प्रीसियश स्टोन्स, सोने-चांदी की ज्वैलरी, एंटिक आभूषण, हस्तशिल्प, कालीन और कपड़ों का अकूत भंडार मिला है। यह सब पिछले 6 साल में ही बनाया गया था और सोने और चांदी के आभूषणों के बेहिसाब निर्माण और विक्रय का काला चिठ्ठा तो और भी चौंकाने वाला था। इसी गुफा के अंदर ही 15 करोड़ रुपये से ज्यादा की बेनामी संपत्ति से संबंधित डिजिटल डेटा और दूसरे दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं।
हैरानी की बात ये है की इस कारोबारी द्वारा न तो आयकर रिटर्न में ये इनकम और कारोबार को दर्शाया गया है और न ही बही-खातों में कहीं इंद्राज किया गया है। ज्वैलर के घर स्थित गुफा में मिले दस्तावेजों में अल्फा-न्यूमेरिक सीक्रेट कोड के भारी पैमाने पर दस्तावेज मिले हैं। कहा जा रहा है की इन सीक्रेट कोड में ही प्रत्येक आइटम की वास्तविक बिक्री की कीमत छुपी हुई है। जिसे अब डीकोड किया जा रहा है। इसके साथ ही इस ख़ुफ़िया तहखाने से दो हार्ड-डिस्क और कई पेन-ड्राइव भी जब्त किए गए हैं।
आयकर अधिकारी आईटी एक्सपर्ट से हार्ड डिस्क और पेन ड्राइव के डेटा की डिटेल को निकलवा रहे हैं। इस कारोबारी समूह के ठिकानों से मिले दस्तावेजों में विदेशी यात्रियों को बड़ी कीमतों पर बेची गई ज्वैलरी का खुलासा हुआ है। जब संपत्ति इतनी अथाह थी तो चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा एसी की जगह जगह अलार्म सिस्टम लगा था जो किसी भी आकृति के संपर्क में आने पर जोर से बज उठाता था। यहां तक कि इसके मालिक मोबाईल पर सीसीटीवी एप के जरिये चौबीसों घंटे इस पर निगरानी रखते थे।
आयकर अधिकारियों की मानें तो गुलाबी रंग के मखमली कपड़ों में लपेट कर यहां पर सोने- चांदी के एंटिक आईटमों को रखा हुआ था। रिसेप्शन और बेसमेंट के जरिये सुरंग तक जाने का रास्ता भी किसी रहस्मयी खजाने की कहानियों की तर्ज पर गुप्त सुरंग वाले रास्तों से भरा था। यहां किस तरह काला धंधा चल रहा था इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि इन चार दिनों की छापेमारी में ही अधिकारियों को अकेले इस ज्वेलर्स समूह के यहां अब तक 525 करोड़ की अघोषित आय के दस्तावेज मिल चुके हैं।
यही नहीं ज्वेलर समूह ने 122 करोड़ रुपए की नकदी भी अलग- अलग लोगों और कारोबारियों को ऊंचे ब्याज पर देने की भी जानकारियां मिली हैं। इनसे जो ब्याज आता था उसकी रकम के को इस कम्पनी के मालिक अपने खातों में डलवाने की बजाय अपने कर्मचारियों के खाते में मंगवाते थी ताकि आयकर विभाग के अधिकारियों की आंखों में आसानी से धूल झोंका जा सके।
इसी तरह दो अलग अलग बिल्डर के यहाँ भी आयकर विभाग की छापेमारी जारी है और इन चार दिनों में इन तीनों ही जगहों से आयकर विभाग की 40 टीमें में शामिल 200 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारियों ने काले धन का अथाह भंडार का पता लगाया है। जहां अब तक ज्वेलर्स के यहां से 525 करोड़ की सम्पाती का पता चला है, वहीं बिल्डर्स के बारे में पता चला है कि प्रोजेक्ट पूरा होने से पहले ही ये लोग उसे औने पौने दामों में खरीद कर ऊंचे दामों में बेच देते थे। फिलहाल तो छापे की कार्यवाही को चार दिन पूरे हो चुके हैं और जैसे जैसे जांच आगे बढ़ेगी वैसे वैसे इनसे जुडी हकीकत भी सामने आएगी।
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