नई दिल्ली: नए कृषि कानून पर किसान पिछले 77 दिन से विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि नए कानूनों से किसानों को कोई नुकसान नहीं होगा, जबकि किसान कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। ऐसे में मोदी सरकार में कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी मंत्री ने कहा है कि नए कृषि कानूनों से अगर किसानों से उनकी एक इंच भी जमीन छिनी गई तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे।
कैलाश चौधरी ने कहा कि झूठ फैलाया जा रहा है कि कांट्रैक्ट खेती से किसानों की जमीन चली जाएगी, लेकिन सच यह है कानून में जमीन का जिक्र ही नहीं है। केंद्रीय मंत्री द्वारा संसद में दिए गए बयान के सिलसिले में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा, "कानून में इस बात का जिक्र है अनुबंध तो सिर्फ उपज का होगा, इसलिए जमीन के अनुबंध का कहीं सवाल ही पैदा नहीं होता है।"
संसद में कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने दोहराया कि किसानों की आय को दोगुना करने को लेकर मोदी सरकार प्रतिबद्ध है। कृषि राज्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने पर कायम है। कैलाश चौधरी ने कहा कि यूपीए सरकार से करीब तीन गुना ज्यादा राशि अभी तक मोदी सरकार किसानों के खातों में पहुंचा चुकी है।
चौधरी ने कहा कि जो मोदी सरकार साल दर साल कृषि उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर उसे डेढ़ गुना कर चुकी है। उन्होंने कहा, "मौजूदा सरकार के कार्यकाल में साढ़े बाइस करोड़ किसानों को सॉइल हेल्थ कार्ड मिल चुका है। सरकार आठ करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ मिला है। पौने ग्यारह करोड़ किसानों को पीएम-किसान सम्मान निधि का लाभ मिल चुका है। इतनी सारी किसान हितैषी योजनाएं लाने वाली सरकार भला किसान विरोधी कैसे हो सकती है।"
कैलाश चौधरी का दावा है कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार बनने के बाद से गांव-गरीब और किसानों की दशा सुधरी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने यह संदेश दिया है कि किसानों के जीवन में बदलाव अब एक सामूहिक दायित्व है और इस दायित्व की पूर्ति के लिए किसानों की आजादी एक बुनियादी शर्त है। नए कृषि कानूनों से हमारे अन्नदाताओं को बिचौलियों के बंधन से मुक्ति मिली है। अब वे अपनी उपज अपनी शर्तों पर मनमाफिक दाम पर कहीं भी बेच सकेंगे।
उन्होंने ने कहा कि स्थानीय मंडियां दलालों, माफियाओं की गिरफ्त में थीं, लेकिन अब कृषि उपज भी अन्य औद्योगिक उत्पादों की तरह एक देश-एक बाजार की अवधारणा से जुड़ जाएगी, जिससे खेती में निजी निवेश बढ़ेगा, बुनियादी ढांचा सुधरेगा, कृषि अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और देश के आर्थिक विकास में कृषि क्षेत्र का योगदान बढ़ेगा।
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