के जे श्रीवत्सन, जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राहुल और प्रियंका गांधी के साथ हुई जोर जबरदस्ती की घटना को निंदनीय बताते हुए आरोप लगाया है कि केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकार अपने मनमानेपन पर उतर आई है। वहीं हाथरस की घटना को राजस्थान के बारां की वारदात के साथ जोड़कर देखे जाने पर राजस्थान के DGP का अजीबो गरीब बयान सामने आया है। हालांकि उन्होंने बारां की घटना की दुबारा जांच के लिए तैयार होने कि तो बात कही लेकिन यह भी कहा की अकेले केवल राजस्थान में अपराध की घटनाएं नहीं बढ़ रही है बल्कि समूचे उत्तर भारत में अपराध बढे हैं।
वहीं मुख्यमंत्री अशोक ने कहा कि जब कुछ छिपाने की बात नहीं है तो वहां जाकर सच्चाई जानने की कोशिश करने वाले विपक्षी दलों के नेताओं को रोकने की जरूरत क्यों है। सीएम गहलोत ने कहा की तीन दिन पहले जब डूंगरपुर के खेरवाड़ा में घटना हुई तब भाजपा के तीन नेता गए। हमने तो उन्हें रोका नहीं। विपक्ष का यही काम होता है। कोरोना के अंदर भी 20 लोगों को अंतिम संस्कार की छूट दी गई है। लेकिन मनमाने पर उतर आई केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकार ने रात को पुलिस की देखरेख में दाह संस्कार कर दिया गया। मां बिलखती रही। ऐसा कभी नहीं देखा।
सीएम गहलोत ने आगे कहा कि राजस्थान में कुछ घटना हुए है, लेकिन लोग कहते हैं प्रियंका जी और राहुल जी यहां क्यों नहीं आते हैं। उनको कहना चाहूंगा वहां वो विपक्ष के नेता के रूप में जा रहे थे। यहां विपक्ष के नेता आएं, वो बारां या भिवाड़ी जांए। हम उन्हें परमिशन देंगे। विपक्ष के नेताओं को अपनी भूमिका निभानी चाहिए। जैसे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी निभा रहे थे, लेकिन हाथरस की घटना पर तो केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार अपने मनमानेपन पर ही उतर आई है। उन्हें हिरासत में लेने की घटना की जितनी निंदा की जाए उतना ही कम है।
उधर बारां की घटना को लेकर मचे बवाल पर पहली बार राजस्थान के डीजीपी भूपेन्द्र सिंह ने भी सफाई दी। उन्होंने कहा कि इस घटना की मेडिकल जांच और मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए पीड़ित लड़कियों के बयान से सच्चाई सामने आ चुकी है, लेकिन यदि फिर भी पीड़ित परिवार जांच से संतुष्ट नहीं है तो हम फिर से इस मामले की जांच के लिए तैयार हैं। इस घटना को हाथरस की घटना से जोड़कर देखा जाना बिलकुल ही सही नहीं है। डीजीपी भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि मामले की सूचना के साथ ही पुलिस ने बारां की घटना को गंभीरता से लिया और जांच में उसके निष्कर्ष भी सामने आ गए। मेडिकल रिपोर्ट और मजिस्ट्रेट के बयान भी यही है लेकिन पीड़ित लड़कियों के पिता अब नए बयान के जरिये क्या चाहते हैं यह तो वे खुद ही बता सकते हैं, लेकिन यदि फिर भी वे पुरानी जांच से संतुष्ट नहीं हैं तो हम इस मामले की फिर से जांच के लिए तैयार हैं।
डीजीपी ने बासवाडा में दुष्कर्म की घटना पर भी सफाई दी और कहा की भले ही क्राईम ग्राफ में राजस्थान में अपराध को बढ़ा बताया गया है लेकिन उनकी रोकथाम और जांच में पुलिस ने कोई कोताही नहीं बरती है। उन्होंने कहा की बासवाडा की घटना को लेकर अभी कन्फ्यूजन की स्थिति है। जैसे-जैसे जांच आगे बढती जायेगी वैसे-वैसे सच्चाई सामने आ जायेगी। हालांकि डीजीपी ने चौकाने वाला बयान भी दिया। उन्होंने कहा कि अकेले राजस्थान में ही नहीं बल्कि समूचे उत्तर भारत में इस तरह की घटनाएं बढ़ रही है।
बहरहाल सरकार और पुलिस दोनों ही बढ़ते अपराधों को लेकर सफाई देने में जुटी है। लेकिन उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड पर मचे बवाल के बाद अब राजस्थान में भी रेप के मामलों को लेकर राजनीति गरमाने लगी है। पुलिस भले ही इन मामलों में त्वरित कार्रवाई का दावा कर रही है, लेकिन विपक्ष इन घटनाओं पर सरकार को घेरने की कोई कोशिश नहीं छोड़ रहा है। यहां तक की इनको लेकर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं का दौर तेज हो गया है। नेताओं में ट्विटर वार भी छिड़ा हुआ है। बावजूद इसके जमीनी असलियत यही है कि तमाम कोशिशों के बावजूद भी ऐसे अपराधों की संख्या कम होने का नाम ही नहीं ले रही है।
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