जयपुर: राजस्थान में नौकरियों आरक्षण की मांग को लेकर रेल पटरियों पर बैठे गुजरों का आंदोलन खत्म हो गया है। मिली जानकारी के अनुसार, गुर्जर समाज और राजस्थान सरकार के बीच कल रात को एक समझौता हुआ, जिसके बाद गुर्जर पटरी से हट गए। इसके साथ ही उन्होंने पटरियों पर लगाये तंबू भी हटा लिए हैं।
गुर्जर आंदोलन के कारण राजस्थान में ट्रेन सेवाओं और सड़क को बाधित किया गया था। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला सहित मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिले और दोनों पक्ष आम सहमति पर पहुंच गए।
गुर्जर 1 नवंबर, 2020 से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे। गुर्जर आरक्षक संघर्ष समिति की मांग रही है कि गहलोत सरकार ने गुर्जर आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करे। आंदोलनकारियों ने राज्य सरकार से रिक्त पदों को भरने और लंबित भर्ती प्रक्रिया में अधिकांश पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) में पांच प्रतिशत कोटा का लाभ देने के लिए भी कहा था।
आंदोलन समाप्त होने के बाद गुर्जर आज सुबह रेलवे पटरियों की मरम्मत करते देखा गया। भरतपुर में एक रेलवे ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गया था, जहां प गुर्जर आरक्षण की मांग को लेकर बैठे थे। पुलिस ने पुष्टि की कि आंदोलन के कारण निलंबित की गई मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी गई हैं।
गुर्जर नेता विजय बैंसला ने पुष्टि की कि आंदोलन को बंद कर दिया गया है। बैंसला ने कहा, "हम कल रात गहलोत सरकार के साथ एक समझौता करके आए थे और उनका समुदाय इस समझौते से सहमत है।" बैंसला ने कहा कि प्रदर्शनकारी रेलवे ट्रैक खाली कर रहे हैं और सभी रेलवे ट्रैक फिर से चालू हो रही हैं।
पीलूपुरा विरोध स्थल पर मौजूद विजय बैंसला ने कहा कि समुदाय के नेता अन्य विरोध स्थलों का दौरा कर रहे हैं और सड़कों और रेलवे पटरियों को साफ कर रहे हैं। गुर्जर समुदाय के लोगों ने हिंडौन-बयाना मार्ग और दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग को अवरुद्ध कर दिया था।
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