नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह राज्य सरकारों को जीएसटी संग्रह कम होने के कारण इस साल अपने खजाने से राज्यों को किसी भी तरह का क्षतिपूर्ति भगुतान नहीं करेगी। गुरुवार को आयोजित महत्वपूर्ण 41वीं जीएसटी बैठक में दो विकल्पों के बारे में सोचने के लिए राज्यों को सात दिनों का समय दिया गया है।
केंद्र द्वारा साझा किए गए दो विकल्पों में कोई ज्यादा अंतर नहीं है। इसमें राज्यों को पैसे की कमी के लिए क्षतिपूर्ति को कम करने के लिए उधार लेने को कहा गया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि महामारी से आर्थिक तबाही के कारण केंद्र के पास कोई अन्य विकल्प नहीं है।
जीएसटी परिषद के सभी सदस्यों के बीच दिन भर के विचार-विमर्श के बाद राज्यों को दो विकल्प दिए गए:
1: केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि राज्य सरकार 97,000 करोड़ रुपये उधार ले सकते हैं और इसके लिए उनको एक उचित ब्याज देना होगा। हालांकि इसको लौटाने के लिए 5 साल का समय दिया गया है।
2: दूसरे विकल्प में भी केंद्र सरकार ने राज्यों को उधार लेने की बात कही गई है, लेकिन इसमें सिर्फ इतना अंतर है कि राज्य सरकार केंद्र के पास ना जाकर आरबीआई से सीधे उधार मांग सकते हैं।
केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि महामारी के कारण आर्थिक गतिविधियां बंद होने से वित्त वर्ष 2021 में कुल अनुमानित जीएसटी में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है। इस वित्त वर्ष में सरकार को सिर्फ जीएसटी उपकर से केवल 65,000 करोड़ रुपये एकत्र करने की उम्मीद है। बता दें कि 3 लाख रुपये जीएसटी कलेक्शन की उम्मीद थी।
हालांकि इसके लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को 7 दिन का समय दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस वित्त वर्ष में हुए घाटे की भरपाई के लिए राज्यों द्वारा ऋण चुकाने में सहायता के लिए केंद्र द्वारा 2022 से अधिक क्षतिपूर्ति उपकर संग्रह की अवधि बढ़ाने की भी संभावना है। लेकिन यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि क्या जीएसटी लागू होने के बाद यह विस्तार 2.35 लाख करोड़ रुपये या केवल 97,000 करोड़ रुपये की अनुमानित कमी की वसूली के लिए लागू होगा या नहीं
राज्य खुश नहीं
यह स्पष्ट है कि राज्यों को उचित ब्याज दर पर दो मामलों में ऋण लेने की लागत वहन करनी होगी। कई वित्त राज्य वित्त मंत्री केंद्र सरकार के इन विकल्पों से असंतुष्ट हैं। राज्य के वित्त मंत्री थॉमस इस्साक, मनीष सिसोदिया, मनप्रीत सिंह बादल और अन्य ने मुआवजा उपकर की कमी को पूरा करने के लिए केंद्र द्वारा निर्धारित शर्तों पर आपत्ति जताई है।
उनके विचार में दोनों विकल्पों के लिए राज्यों को उधार लेने की आवश्यकता है, जो जीएसटी कानून के तहत वादा किए गए मुआवजे के अपने हिस्से को कम करेगा। केवल बिहार के वित्त मंत्री सुशील मोदी, जो एक भाजपा नेता भी हैं, ने कहा कि राज्यों पर कोई बोझ नहीं होगा, क्योंकि उधार पांच साल में चुकाना है।
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