नई दिल्ली: बिहार का युद्ध खत्म हुआ और इसी के साथ बैटल ऑफ बंगाल शुरू हो गई। बिहार के नतीजे आने के साथ ही बंगाल हिंसा की आग में जलने लगा। पांच सालों से दीदी का बंगाल इसी तरह से सुलग रहा है। वोट और सत्ता के लिए ऐसी आग लगी हुई है कि पूरा स्टेट जल रहा है। इसके साथ ही बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि राज्य में राजनीतिक हिंसा के नियंत्रण का कोई संकेत नहीं है।
बीजेपी ममता के अभेद्य किले को ढहाने में जुटी है, तो दीदी अपने इकलौते गढ़ को बचाने में जुटी हैं। अपने-अपने मिशन को लेकर दोनों दलों के कार्यकर्ता खूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। जिससे बंगाल की ज़मीन लाल होती जा रही है। बंगाल कुछ दिनों के लिए शांत होता है और फिर जलने लगता है। गोलियां चलने लगती हैं, देसी बम फूटने लगते हैं, हिंसा और बवाल इस राज्य को अपनी गिरफ्त में ले लेता है।
पिछले कुछ महीनों से बंगाल शांत था, लेकिन जैसे ही बिहार की लड़ाई खत्म हुई, बंगाल की जंग शुरू हो गई। बंगाल में अब तक आपने जो कुछ देखा, जो कुछ सुना, जो कुछ समझा, वो महज एक ट्रेलर था। बंगाल का असली गेम अब शुरू हुआ है। पूरी और रियल फिल्म निकट भविष्य में आने वाली है। बंगाल के वोट चरित्र के रुझान आने शुरू हो गए हैं।
बुधवार रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में बंगाल के बवाल पर बात कही और इसके 16 घंटे बाद ही बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष के काफिले पर हमला हो गया। बंगाल के अलीपुरद्वार में दिलीप घोष का काफिला जा रहा था। तभी कुछ लोगों ने पत्थरों से हमला कर दिया। हमले में दिलीप घोष बाल-बाल बच गए हैं, लेकिन उनके काफिले की कई गाड़ियों में तोड़फोड़ किया गया। जिस गाड़ी में तोड़फोड़ की गई थी, उसमें दिलीप घोष मौजूद नहीं थे।
बंगाल बीजेपी अध्यक्ष के काफिले पर हमला हुआ, तो बीजेपी युवा मोर्चा कोलकाता की सड़कों पर उतर गई, जमकर बवाल हुआ। गुरुवार को दिलीप घोष के काफिले पर अटैक हुआ, तो बुधवार को बंगाल में बीजेपी कार्यकर्ता का मर्डर हुआ। पूर्वी मेदिनीपुर में गोकुल जेना नाम के बीजेपी वर्कर को पीट-पीटकर मार डाला गया। बीजेपी का आरोप है कि कांथी इलाके में इस हत्याकांड को तृणमूल कार्यकर्ताओं ने अंजाम दिया।
पूर्वी मेदनीपुर में बीजेपी कार्यकर्ता का कत्ल हुआ, तो पश्चिम बर्धमान में टीएमसी कार्यकर्ता को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया। हत्यारे कौन थे, कहां से आए थे, अब तक पता नहीं चल सका है।
पांच साल से जल रहा है पश्चिम बंगाल
2016 में बंगाल में राजनीतिक कारणों से झड़प की 91 घटनाएं हुईं और 205 लोग हिंसा के शिकार हुए। 2015 में राजनीतिक हिंसा की कुल 131 घटनाएं दर्ज की गई थीं, 184 लोग इसके शिकार हुए। बीजेपी का कहना है कि दीदी के राज में पिछले 4 साल में 100 के करीब बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या की जा चुकी है।
जिस तरह से बीजेपी टीएमसी पर आरोप लगा रही है, उसी तरह ममता की पार्टी भी पॉलिटिकल मर्डर का इल्जाम लगा रही है। जिस तरह बीजेपी के कार्यकर्ता बेवक्त मारे जा रहे हैं, उसी तरह टीएमसी के भी।
बंगाल में सिर्फ इसी साल जून से लेकर सितंबर तक 12 पॉलिटिकल मर्डर हो चुके हैं। पिछले साल यानि 2019 में 20 से ज्यादा हत्याएं हो चुकी हैं। इनमें बीजेपी, टीएमसी और लेफ्ट से जुड़े लोग शामिल हैं। लेकिन हैरानी की बात ये है कि कत्ल का ये सिलसिला अब तक रुका नहीं है।
जाहिर है बीजेपी और ममता का मिशन बंगाल शुरू हो चुका है, इसीलिए बवाल शुरू हो चुका है। आने वाले वक्त में भारत का ये राज्य और भी जलेगा, क्योंकि सवाल सत्ता का है।
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