नई दिल्ली: पिछले 29 दिनों से देश के किसान दिल्ली बॉर्डरों पर केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार के साथ 5 दौर की वार्ता के बाद भी कोई समाधान नहीं निकल पाया है। ऐसे में केंद्र सरकार एक बार फिर मुद्दे का हल निकालने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों के पास पहुंची है और बातचीत का निमंत्रण दिया है।
केंद्र सरकार की तरफ से आंदोलनकारी किसानों को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा गया है, जिसमें उन्हें अगले दौर की वार्ता के लिए तारीख और समय तय करने के लिए कहा गया है। इससे पहले किसान संघों ने मोदी सरकार से बातचीत के फिर से शुरू करने के लिए एक नया ठोस प्रस्ताव लाने के लिए कहा था।
केंद्र सरकार की तरफ से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि किसानों के साथ वार्ता का रास्ता खुला रहना आवश्यक है और उनकी बातों को सुनना सरकार का दायित्व है। सरकार खुले मन से किसानों के साथ वार्ता करती रही है और आगे भी इसके लिए तैयार है। कृपया किसान संगठन अपनी सुविधा के हिसाब से तिथि और समय बताएं। साथ ही जिन मुद्दों पर बात करना चाहते हैं, उनका विवरण दें।
भारतीय किसान यूनियन ने सुप्रीम कोर्ट में दी कृषि कानूनों को चुनौती
भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) ने तीन नए कृषि कानूनों को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है, जिसके खिलाफ विभिन्न किसान यूनियन दिल्ली के कई बॉर्डरों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। आवेदन में भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) ने दावा किया है कि नए खेत कानून कॉर्पोरेट हित को बढ़ावा देते हैं और किसानों के हित से चिंतित नहीं हैं।
वकील एपी सिंह के माध्यम से दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि ये अधिनियम असंवैधानिक और किसान विरोधी हैं, क्योंकि यह कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) प्रणाली को ध्वस्त कर देगा, जिसका उद्देश्य कृषि उत्पादों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करना है।
अर्जी में कहा गया है कि अपने मौजूदा स्वरूप में कृत्यों के कार्यान्वयन से किसान समुदाय के लिए एक समानांतर बाजार खुल जाएगा, जोकि अनियमित है और भारतीय किसानों के शोषण के लिए पर्याप्त जगह देता है।
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