नई दिल्ली: मोदी सरकार ने कल देर रात आम आदमी को झटका देते हुए छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में भारी कटौती कर डाली, लेकिन आज सरकार ने इसको वापस ले लिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि आदेश को वापस ले लिया जाएगा। पहले नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट या एनएससी और पब्लिक प्रॉविडेंट फंड या पीपीएफ से मिलने वाली स्कीमों पर मिलने वाले ब्याज में कटौती की गई थी, जिससे करोड़ों जमाकर्ताओं को नुकसान होना था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज सुबह ट्वीट किया, "भारत सरकार की छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें उन दरों पर बनी रहेंगी जो 2020-2021 की अंतिम तिमाही में मौजूद थीं। ओवरसाइट द्वारा जारी किए गए आदेश वापस ले लिए जाएंगे।''
सरकार के इस निर्णय के पीछे बंगाल और असम के साथ-साथ तीन अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
पिछली शाम (31 मार्च), पिछले वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कटौती की थी। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार, छोटी बचत योजनाओं की दरों में 50-100 बेसिस प्वाइंट अंकों की कमी की गई।
आदेश के अनुसार, PPF पर ब्याज दर 7.1% से कम करके 6.4%, जबकि वरिष्ठ नागरिक बचत योजनाओं, मासिक आय खाता, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र, किसान विकास पत्र पर दरों को क्रमश: 6.5%, 5.7%, 5.9%, 6.2% कर दिया गया था। ये दरें आज से लागू होने वाली थीं। नई ब्याज दरें 1974 के बाद सबसे कम थी।
छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर हर तिमाही में संशोधित की जाती है। इससे पहले, वित्तीय वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में बड़े अंतर से कमी की गई थी।
हालांकि, वित्त मंत्रालय का ताजा आदेश बचतकर्ताओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है, जो मुख्य रूप से नियमित आय अर्जित करने के लिए इन योजनाओं से ब्याज आय पर निर्भर हैं।
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