नई दिल्ली: कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने न्यूज 24 के कार्यक्रम मंथन में नए कृषि आंदोलन को सही बताते हुए कहा कि इससे किसानों को ताकत मिलेगा और मोदी सरकार ने किसान और कृषि दोनों के हितों के लिए पूरी तरह से प्रतिबध है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 6 साल में काफी कदम उठाएं हैं और एमएसपी पर 50 फीसदी देने का निर्णय करने के साथ-साथ फसल की खरीद को भी बढ़ाया गया है। इसके साथ ही अब दलहन और तिलहन की भी खरीद की जाती है।
कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के साथ कोई अमानत में खयानत नहीं कर सके। बुआई के समय औसत मूल्य तय होगा और उससे प्रोसेसर भाग नहीं सकता है। उन्होंने कहा, 'प्रोसेसर के अनुसार किसान अपने खेतों में खेती करेगा और किसी भी तरह से अगर उस तरह की फसल नहीं आई जोकि प्रोसेसर चाहता है तो भी वह उसी कीमत में फसल खरीदेगा।'
मंथन में कही गई कृषि मंत्री की बड़ी बातें:
86 फीसदी किसानों की स्थिति में बदलाव आ सके, इसलिए 6850 करोड़ रुपये एफपीओ पर खर्च करेंगे। इससे खेती के क्षेत्र में नया बदलाव होगा।
खेती में निजी निवेश का आभाव रहा है। किसान परंपरागत खेती करता है तो छोटे किसानों को ज्यादा मुनाफा नहीं होता है।
निजी निवेश बढ़े, इसलिए 1 लाख करोड़ का पैकेज देने की घोषणा की है और सरकार ने डेढ़ हजार करोड़ को मंजूरी दी गई है।
एमएसपी पहले केंद्र सरकार पर निर्भर करता था, लेकिन अब लागत पर सभी राज्यों से बात करके उसपर 50 फीसदी का मुनाफा जोड़कर दिया जाता है।
नए कृषि सुधारों का पंजाब सहित एक-दो राज्यों के किसान हैं, जिनको कुछ आपत्ति है। उनसे हमने 6 दौर की बात की है और हम उनसे यह समझना चाह रहे हैं कि इससे क्या गलत हो रहा है। अगर वह यह मुद्दा बताते हैं कि इससे यह नुकसान हो रहा है तो हम खुले मन से बात करने को तैयार हैं।
कानून पर जब चर्चा होगी तो इसके प्रावधानों पर ही चर्चा होगी। कानून के फायदे और नुकसान पर चर्चा करना अलग बात है। जब बातचीत होगी तो तर्कों के साथ बातचीत होगी।
एमएसपी भारत सरकार का निर्णय है और इसके लिए शंका नहीं हो सकती। सबकुछ कानून के हिसाब से तय नहीं होगा।
बिहार की चिंता दूसरे लोगों को करने की जरूरत नहीं है, बिहार के लोगों अपने आप में सक्षम हैं। किसान आंदोलन चल रहा था तो बिहार में किसान ने एनडीए के पक्ष में वोट क्यों डाला। बिहार का किसान जानता है कि इन सुधारों से अच्छा दिन आने वाला है।
बाजार को मुक्त और संतुलित होना चाहिए, अगर हम इसको रोकेंगे तो यह किसानों के साथ अन्याय है।
हम सिर्फ बड़े व्यापारी को ही देखते हैं, जबकि सभी मिलकर व्यापार करते हैं। मंडी के कारण आज किसान की ताकत नहीं है, लेकिन उसको आजादी मिलनी चाहिए।
आने वाले समय में किसानों के मोबाइल पर देश की सभी मंडियों का भाव होगा और वह अपनी सुविधा के अनुसार, फसल बेच सकते हैं।
किसी का किसानों के साथ होना खराब नहीं, लेकिन सियासत करने के लिए दूसरे मुद्दे हैं।
किसानों के लिए अकाली दल का पहले का बयान देखिए। हनुमान बेनीवाल पहले लोकसभा में क्या बयान दे रहे थे।
किसानों पर सियासत नहीं करनी चाहिए। इसके लिए अगर कुछ दूसरे लोगों के हित की बलि चढ़ानी पड़ती है तो तैयार रहना चाहिए।
इन सुधारों के बारे में अलट जी के कार्यकाल में चर्चा शुरू हुई। उसी समय स्वामीनाथन आयोग बना। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में इसको रखा। आप ने अपने घोषणा पत्र में इसको रखा। जब आप सरकार में थे तो इसको मान्यता देने हैं, लेकिन अब विरोध कर रहे हैं।
राहुल गांधी को नहीं पता सदन में इसपर चर्चा हुई थी। राज्यसभा और लोकसभा में इसपर 4-4 घंटे चर्चा हुई है।
मोदी ने कर दिया, इसलिए यह कानून बुरा हो गया, यह सही नहीं है।
हम किसानों से बातचीत कर टेबल पर रास्ता निकालने की कोशिश करेंगे।
किसानों को मैं बताना चाहता हूं कि यह वामपंथियों की छोटी सोच हैं। कोई बांध बनाओ या बिजली दो इसको दिक्कत होती है। किसानों को देश में कोई बंधक नहीं बना सकता।
मध्य प्रदेश में मंडी का टैक्स खत्म कर दिया, इसलिए मंडियों का आयत कम हो रही है। किसानों की उपज पर कोई टैक्स नहीं लगना चाहिए।
राज्य सरकार अपने अधिकार क्षेत्र में कानून बना सकती है। हम लोगों की यह कोशिश है कि पूरे देश में कृषि उत्पाद में बिना टैक्स के व्यापार होना चाहिए। अभी सिर्फ देश की एक ही मंडी में बेचना किसान की मजबूरी है। आज किसान के घर में जगह नहीं है, इसलिए वह मंडी में बेचता है।
राज्यों के कांट्रैक्ट फार्मिंग के एक्ट हैं। पंजाब में इस एक्ट में किसान को उसका उल्लंघन करने पर जेल तक जाना पड़ेगा, यह उल्लेख है।
2020 में कोविड का संकट रहा, लेकिन इसके बावजूद किसानों ने बेहतर फसल की और आने वाले समय में भी अपनी स्थिति में सुधार ला सके।
10 हजार एफपीओ बनाने का काम पूरा करें और इसके फंड को खत्म करें।
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