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विपिन कुमार, नई दिल्लीः अगले साल देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव होना है, जिसे लेकर सारी राजनीतिक पार्टियां एड़ी से चोटी तक जोर लगा रही हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ही केंद्र और राज्य में योगी सरकार की भी परीक्षा होनी है। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ विकास और सख्त कानून व्यवस्था के नाम पर लोगों वोट की अपील कर रहे हैं।
दूसरी ओर विपक्षी पार्टियां बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और किसानों की अनदेखी जैसे आरोप लगाकर निशाना साध रही हैं। उत्तर प्रदेश को अभी तक 20 मुख्यमंत्री मिले, जिसमें इकलौती मायावती ऐसी हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा दिनों तक शासन किया। मायावती राज्य की चार बार सीएम बनी, जिसमें एक बार 5 साल पूरे किए। आज हम मायावती के जीवन की बात बताने जा रहे हैं। मायावती का जीवन संघर्षों से भरा है, क्योंकि उन्होंने दलितों और गरीबों के उत्थान के लिए परिवार और गांव का भी त्याग कर दिया था। मायावती का संघर्ष और लग्न के चलते ही वह यूपी ही नहीं देशभर में पहचान बना पाई हैं।
- संघर्षों से भरा है पूर्व सीएम मायावती का जीवन
मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 को गौतमबुद्ध नगर के बादलपुर गांव में हुआ था। उनके पिता, प्रभु दास, गौतम बुद्ध नगर में एक डाकघर कर्मचारी थे। मायावती के 6 भाई एवं 2 बहनें हैं। उन्हें "बहन जी" के नाम से भी जाना जाता है। मायावती बचपन से ही पढ़ने में होशियार थीं, जो पढ़-लिखकर एक आईएएस व आईपीएस बनना चाहती थी। लेकिन कांशीराम के संपर्क में आने के बाद मायावती ने आईएएस नहीं बल्कि एक राजनीतिज्ञ बनने की ठानी।
घर-परिवार वालों को सियासत पसंद नहीं थी। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांशीराम के संपर्क में आने के बाद मायावती ने आईएएस की तैयारी करना छोड़ दी और बामसेफ की बैठकों में जाने लगी। मायावती के घर बड़े-बड़े नेताओं का भी आना जाना लगा रहता था, लेकिन पिताजी को यह सब ठीक नहीं लगता था।
एक दिन मायावती के पिता ने कह ही दिया कि आप राजनीति करोगी तो घर छोड़ दो। यह सुनकर मायावती को बहुत दुख हुआ और 20 साल की आयु में बैग उठाकर घर से चली गईं। उन्होंने दिल्ली स्थित बामसेफ के कार्यालय को अपना ठिकाना बना लिया। यहीं से मायावती ने दलितों-पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए काम शुरू कर दिया। बामसेफ से महिलाओं को जोड़ने संबंधी तमाम जिम्मेदारियां निभाई।
कांशीराम के संरक्षण में 1984 में बसपा की स्थापना के दौरान वह काशीराम की कोर टीम का हिस्सा रहीं। मायावती ने अपना पहला चुनाव उत्तर प्रदेश में मुज़फ्फरनगर के कैराना लोकसभा सीट से लड़ा था। 3 जून 1995 को मायावती पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। और उन्होंने 18 अक्टूबर 1995 तक राज किया।
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