रमन झा, नई दिल्ली: भारत रत्न और देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का आज दिल्ली में अंतिम संस्कार होगा। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 84 साल की उम्र में निधन हो गया। उनका लंबे समय से दिल्ली के आर्मी अस्पताल में इलाज चल रहा था। प्रणब दा के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। देशभर में लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। देश में 7 दिन के राजकीय शोक का एलान किया गया है।
भारत रत्न प्रणब मुखर्जी ने अपने 5 दशक से भी लंबे राजनीतिक करियर में एक आम कांग्रेस कार्यकर्ता से राष्ट्रपति तक का सफर तय किया। वो देश की तमाम बड़ी घटनाओं के साक्षी बने। एक वक्त में कांग्रेस के संकटमोचक माने जाने वाले प्रणब दा ने देश की सियासत में अमिट छाप छोड़ी। 2018 के जून महीने में तमाम विरोधों के दरकिनार करके प्रणब दा ने आरएसएस के कार्यक्रम में भी शिरकत की। वो कांग्रेस के पहले वरिष्ठ नेता थे, जिन्होंने संघ के कार्यक्रम में जाना स्वीकार किया। प्रणब मुखर्जी को नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा।
प्रणब दा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए पीएम मोदी ने उनके साथ संबंधों को याद किया है। पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि मैं 2014 में दिल्ली में नया था। पहले दिन से ही मुझे श्री प्रणब मुखर्जी का मार्गदर्शन, समर्थन और आशीर्वाद मिला। मैं हमेशा उनके साथ अपनी बातचीत को संजोए रखूंगा। उनके परिवार, दोस्तों, प्रशंसकों और देश भर के समर्थकों के प्रति संवेदना।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर दुख प्रकट करते हुए सोमवार को कहा कि देश ने स्वतंत्र भारत के एक महान नेता को खो दिया है। ‘‘ पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन के बारे में सुनकर गहरा दुख हुआ। हमारे देश ने स्वतंत्र भारत के एक महान नेता को खो दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘हम दोनों ने भारत सरकार में बहुत नजदीक के साथ काम किया। मैं उनके विवेक, व्यापक ज्ञान और सार्वजनिक जीवन के उनके अनुभव पर निर्भर करता था।’
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी प्रणब दा के निधन पर दुख जताया। उन्होंने ट्वीट किया कि हमारे पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के दुर्भाग्यपूर्ण निधन की खबर मिली है। मैं उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं. इस दुख के मौके पर शोक संतप्त परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा, 'पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी का निधन पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। प्रणब दा पूरे कांग्रेस परिवार का मार्गदर्शन करने वाले अभिभावक एवं एक कुशल राजनेता थे। विनम्र श्रद्धांजलि। ईश्वर इस दुख की घड़ी में उनके परिजनों को दुख सहने का साहस दे।'
प्रणब दा के बारे में बड़ी बातें...
- 1969 में इंदिरा गांधी के संपर्क में आने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए।
- 1982 में प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री बनाया गया ।
- राजीव सरकार में खुद को दरकिनार किए जाने पर अलग दल भी बनाया।
- नरसिम्हा राव के सक्रिय होने के बाद प्रणब दा की कांग्रेस में वापसी हुई।
- 1991 में उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया ।
- 2004 में यूपीए सरकार बनी तो उनका नाम पीएम पद के लिए भी उभरा।
- मनमोहन सरकार में प्रणब दा को नंबर 2 की हैसियत मिली।
- मनमोहन सरकार में वित्त, विदेश और रक्षा जैसे अहम मंत्रालय संभाले।
- इसी दौरान वो कांग्रेस सरकार के संकटमोचक के रूप में भी उभरे।
- साथी दलों से तालमेल और सरकार का संकट दूर करने में अहम रोल रहा।
- यूपीए 2 सरकार में भी प्रणब दा को वरिष्ठतम मंत्री का दर्जा मिला ।
- मनमोहन सरकार में मंत्री रहते उन्हें साल 2012 में राष्ट्रपति बनाया गया।
- अपने कार्यकाल में उन्होंने राष्ट्रपति भवन और आम लोगों की दूरियां कम कीं।
- उनके राष्ट्रपति रहते ही कांग्रेस सत्ता से बेदखल हुई और मोदी सरकार बनी।
- अफजल गुरू, कसाब, याकूब मेनन जैसे आतंकियों की दया याचिकाएं खारिज कीं।
प्रणब दा उन गिने-चुने नेताओं में से एक थे जिनकी पार्टी लाइन से ऊपर उठकर सभी दलों में स्वीकार्यता थी। देश के किसी भी जटिल मुद्दे पर उनकी राय सभी लोग ध्यान से सुनते थे। उनके निधन से सियासी जगत में ऐसा शून्य पैदा हुआ है जिसकी जल्द भरपाई नहीं हो सकती।
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